Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रश्रव्याकरणसूत्रे असिना खङ्गेन छिद्यन्ते-खण्डशः क्रियन्ते । तथा 'निम्विसिया' निविषयाः विषयात् देशानिष्कासिताः क्रियन्ते । केचित् 'छिण्णहत्थपाया य ' छिन्नहरतपादाश्च 'पमुचंति' प्रमुव्यन्ते, राजकिङ्करैर्हस्तपादं छित्त्वा (ज्यिन्त इत्यर्थः । केचित् — जावजीवबंधणा य कीति' यावज्जिववन्धनाश्च क्रियन्ते जीवनपर्यन्तं कारागारे बध्वन्ते । 'केइ परदव्वहरणलुद्वा' केवित् परद्रध्यहरणलुब्धाःपापिनः 'चारगालये' चारकालये- कारागारे — कारग्गलनियलजुयलरुद्वा' कारार्गलानिगडयुगल रद्धाः कारागलया-कारागृहार्गलया निगडयुगलेन-लाहशङ्खलाद्वयेन रुद्धा-नियन्त्रिताः भवन्ति । कथंभूताः १ इत्याह- 'हयसारा' हृतसाराः = अपहतद्रव्याः । पुनः कीदृशाः ‘सयणविप्पमुका ' स्वजनविप्रमुक्ताः = स्वकीयज्ञातिविरहिताः “नित्तजणनिरकिया" मित्रजननिराकृताः शूली पर चढाने के लिये ले जाते हैं। कितनेक चोर उन राजपुरुषोंद्वारा (असिणा छिज्जति ) तलवारों से काटे जाते हैं (निव्विसया) कितनेक देश से बाहर निकाल दिये जाते हैं। और (छिण्णहत्वपायाय) कितनेक हाथ पैरों को काट कर यों ही (पमुचंति ) छोड़ दिये जाते हैं। तथा कितनेक (जावजीव बंधणा य कीरंति ) जीवन पर्यंत कारावास में ही रख दिये जाते हैं । ( केइ परदव्वहरणलुद्धा) तथा परद्रव्यहरण करने में लुब्धक बने हुए कितनेक चोर ( करग्गलनियलजुयल रुद्धा) कारागार की अर्गला के साथ लोह की जंजीरों से जकड़कर (चरगालये ) कारागार में ही बंद कर दिये जाते हैं। (यसारा) इनका द्रव्य समस्त रूप से अपहृत कर लिया जाता है। ( सयणविप्पमुका) इनके किसी भी स्वजन से इन्हें नहीं मिलने दिया जाता है । (मित्तजणनिरकिया ) इनके
तय छे. टमा यो२ ते २२ सेपछी द्वारा “ असिणा छिज्जंति" सवारीथी ४ा नय छ, “निव्विसया"213 शमाथी is tढवामां आवे छ, मने " छिण्ण हत्थपाया य" माने थ५॥ ४॥पी नाभीत “पमुच्चंति" छोडी भूपामा मावे छ. तथा " जावज्जीवबंधणाय कीरति ईसाईने वे त्यां सुधा रागृहमा पूरी राजे छ. "केइ परदव्वहरणलुद्धा" तया ५२धनतुं अ५७२।९। ४२वानी साससा पाटा न्योरोने "करगलनियलजुयलरुद्धा" ४२राडना मांगनीया साथे वाढनी साथी मांधीन “ चरगालये" ॥२१
॥रमा ४ २२वामां आवे छे. " हयसारा:” तेभर्नु सघणु द्रव्य से ४२वामा भाव छ. “ सयण विप्पमुका” तेमना ६ ५४ स्वराननी भुवात तभनी साथ थवा हे नथी, "मित्तजणनिरकिया ” तेभना भित्री पार
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર