Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुदर्शिनी टीका अ० १ सू० १८ वनस्पतिकायहिंसाकारणनिरूपणम् ७३ प्रसिद्धाः, 'रह' रथाः-प्रसिद्धाः, 'सगड' शकटानि-प्रसिद्धानि, 'जाण' यानानि शकटविशेषाः, 'जोग्ग' युग्यानि जम्यानविशेषाः, 'अट्टालग' अट्टालका प्राकारोपरिवर्ति स्थानविशेषाः 'चरिअ' चरिकाः नगरप्राकारमध्यस्थाष्टहस्तप्रमाणमागाः 'दार' द्वाराणि-प्रसिद्धानि, 'गोपुर' पुरद्वाराणि, 'फलिह' परिघाः अर्गलाः 'यंता' यन्त्राणि प्रसिद्धानि 'मूलिया' शूलिका:-शूलारोपणकाष्ठानि, 'लउड' लकुटा:यष्टयः, 'मुसंढि' शस्त्रविशेषाः, 'सयग्धी' शतघ्न्यः शस्त्र विशेषाः, महाशिलासु या उपरिष्टात् पातिता सत्यः शतानि ध्नन्ति, एवं 'बहु' बहूनि अनेकानि 'पहरण' पहरणानि-शस्त्राणि खगतोमरतीरादीनि 'आवरण' आवरणानि-स्फुरकाणि 'छरपला' इति प्रसिद्धानि उवखराण' उपस्कराणि-गृहोपकरणानि, कपाटादीनि, तेषां 'कए' कृते एतदर्थ, तथा 'अण्णेहिय' अन्यैश्च, 'एवमाइएहिं' एवमादिकैः एकसा किया जाता है, (कुलिय) कूलिक-हलविशेष, स्यंदन-रथविशेष, (सीया) शिविका-पालखी, (रह) रथ-सामन्य रथ (सगड) शकट-गाडा, (जाण) यान-वाहन विशेष, (जोग्ग) युग्य-जम्पान विशेष, ( अट्टालग) अट्टालक-प्राकार के ऊपर का स्थान विशेष (चरिका ) चरिका-नगर
और कोट के मध्य का आठ हाथ प्रमाण का मार्गविशेष, (दार) द्वार, (गोपुर ) गोपुर-पुरद्वार (फलिहा ) परिघा-अर्गला बेंडा, (जंत ) यंत्र, (सूलिया) शुलिका - शूलारोपण काष्ठ (लउड ) लकुट-यष्टि-छडी, (मुसंढि) मुसंढी शस्त्रविशेष, (सयग्यो) शतघ्नी-शस्त्रविशेष जिससे एक ही बारमें सौ मनुष्य मार दिस जाते हैं तथा (बहुपहरणा) अनेक प्रहरणशस्त्रखा,तोमर,तीर आदि, आवरण-छरपला,(वरणुक्खराणकए) उपस्कर -कपाट आदि गृहके उपकरण इन सबके लिये तथा (अण्णेहिं एवमाइएहिं) सरभु ४२वामा मावे छ. “कुलिय" सिर २४ ४२नु ९७७ “संदणं" स्यन से तनी २५ “सीया" शिम सभी “ रह" २थ “ सगड, १४ट आई " जाण" यान वाहन विशेष " जोग्ग" युध्य मे प्राणीथी यातi पाइन। " अट्टालग" मास खानी ५२नु पास प्रा२नु स्थान “चरिय" यरिश ना२ टनी येनी मा डायनी पानी भाग विशेष " दोर" द्वार " गोपुर " गोधु२ शडनु मुख्य द्वार “फलिहा" परि। मांगजियो “ जंत" यत्र शूमि " सूलिया " शूजी या भाटेनु ४०४ “लउड " मुट यष्टि छी “ मुसंढि " भुसढी विशेष " सयग्धी” शती तनु शस नाथी मे ४ पारभां से भागसो भारी ४ाय छ, तथा “बहुपहरणा" भने प्रहर शख 31 तोम२ ती२ मा “ वरणुवक्खराणकए " આવરણ ઉપસ્કર કપાટ આદિ ઘરમાનાં ઉપકરણે એ બધાંને માટે તથા
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર