Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
१४६
__प्रश्रव्याकरणसूत्रे एवं ते भवपरंपरादुक्खसमणुबद्धा अडंति संसारबीहणकरे जीवा पाणाइवायनिरया अणंतकालं ॥सू०४५॥ । ___टीका-कोदाल-कुलिय-दालण-सलिल-मलण-भण-रुंभण अणलाणिल विविह सत्यघट्टण परोप्पराभिहणण मारण विराहणाणि' कुद्दालकुलिकदारण सलिल मलन क्षोभण रोधनानलानिल विविध शस्त्रघट्टनपरस्पराभिहननमारणविराधनानि, तत्र-' कोदाल ' कुद्दाला-भूविदारक शस्त्रविशेषः 'कुलिय' कुलिकं च हलविशेषस्ताभ्यां दालण' दारणं-खननम् , एतद् द्वयं पृथिवी वनस्पत्योर्वेदना कारणम् सलिलस्य-जलस्य मलन क्षोभणरोधनानि, तत्र-मलन-मर्दनं, क्षोभणं= सञ्चालनं, 'रंभण' रोधनं-निरोधनं तडागादौ, अनेनाप्कायवेदना व्यक्तीकृता,
पृथिवी आदि जीवों में वेदना के कारण क्या २ हैं ? सूत्रकार अब इस विषय को स्पष्ट करते हैं-'कोदाल-कुलिय' इत्यादि ।
टीकार्थ-(कोदाल-कुलिय-दालण-सलिलमलण-भण-रुंभण-अणलाणिल-विविह-सत्थघट्टण परोप्पराभिहणणमारणविराहणाणि य) (कोदाल) कुद्दाल-कुदाली और (कुलिय ) कुलिक-हल विशेष, (दालण) इनसे भूमिका विदारण करना-खोदना, ये दो पृथिवी और वनस्पति जीवों के वेदना के कारण हैं ( सलिलमलण ) पानी का मर्दन करना, (खुंभण) चलाना, और (रंभण) तडाग आदि में रोकना ये बातें अपकाय के जीवों के लिये वेदना के कारण हैं । चुल्ली आदि में पानी डालता आदि रूप जो क्रियाएँ की जाती हैं इसका नाम मर्दन है । क्षोभण शब्द का अर्थ चलाना है। कहीं पर भरे हुए पानी को बाहिर निकालने आदिरूप
હવે સૂત્રકાર ને વિષયને સ્પષ્ટ કરે છે કે પૃથિવી આદિ માં વેદनानां ॥२॥ ४यां ४यां छ-" कोद्दाल-कुलिय" त्यादि
टी -“कोदाल-कुलिय-दालण-सलिल-मलण-भण-रुंभण-अणलाणिलविविह-सत्थ घट्टण-परोप्पराभिहणण मारण विरोहणाणि य” "कोदाल" जी मने "कलिय" सि-3 विशेष 43, "दालण" भूभिने मोहवी ते पृथिवीमने वनस्पति
वान वनानां ॥२२॥ छ “सउलि मलण" पाणीनु म ४२७ " खंभण" यसावयु अने“हभण" denq माहिमा ते सायना व भाटे વેદનાનું કારણ છે. ચૂલ આદિમાં પાણી નાખવા વગેરેની જે ક્રિયાઓ થાય छ तेने भन. ४ छ. क्षोभण न अर्थ साव थाय छ. ४ श्यामे ભરાઈ રહેલા પાણીને બહાર કાઢવાની જે કિયા થાય છે. તેને ચલાવવું કહે
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર