Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुदर्शिनी टीका अ० ३ सू० १ अदत्तादानस्वरूपनिरूपणम् -' हरदहे 'त्यादि
'हरदहमरणभयकलुसतासणपरसंतगगिज्झलोभमूलं' हरदहमरणभयकलुषत्रासन परसत्कगृद्धिलोभमूलं, तत्र हर-हरणं कुरु, दह-गृहादिकं प्रज्वालय, इति वचनद्वयं हरणदाहविपये चोराणां प्रवृत्तिकारकम् । तथा मरणं मृत्युः भयं भीतिः कलुषं चम्पापं तैस्त्रसवं-भयजननस्वरूपं यस्य तत्तथा, तच्च परसत्कगृद्धिलोभ मूलं च परसत्के-परकीयधने गृद्धिः आसक्तिः तथा लोभश्च-रौद्रध्यानयुक्तामूर्छा मूलं कारणं यस्य तत्तथा 'कालविसमसंसियं' कालविषमसंश्रितं च काल: अर्धरात्रादिलक्षणः, विषमाणि पर्वतादिदुर्गमस्थानानि तैः संश्रितम् = आश्रितं यत्तत्तथा । एतादृशेषु निर्जनस्थानेषु चौराः पायो निवसन्ति । तथा 'अहोअच्छित्तादान है । यह कैसा होता है ? इस पर कहते हैं-यह अदत्तादान (हरदहमरणभयकलुस तासणपरसंगगिज्झलोभमूलं ) (हर) इसके द्रव्य का हरण करलो, ( दह) इसके गृहादिक को जलादो, (मरण ) इसे मार डालो, इत्यादि रूपसे (भय ) भय दिखाकर दूसरों के द्रव्यादि का हरण करना, ( कलुस) एक दूसरों में कलुषभाव जगाकर उनके द्रव्यादिक को ले लेना, (तासण) इत्यादि अनेक प्रकारसे त्रास पहुँचाना, तथा (परसंतग) दूसरों के धन में (गिज्झि ) आसक्ति रखना तथा (लोभ) रौद्रध्यानसे युक्त इसमें मूर्छाभाव रखना, ये सब (मूलं ) अदत्तादान के मूल कारण है। ( कालविसमसंसियं ) अर्धरात्र आदि काल तथा विषम-पर्वतादि दुर्गमस्थान, इनके द्वारा यह अदत्तादान संश्रित
आश्रित होता है-बनता है, तात्पर्य इसका यह है कि जो अदत्तादानचोरी-किया करते हैं, वे चोर प्रायः अर्धरात्रि के समय में निकलते हैं, एवं पर्वतादि दुर्गम स्थानों पर छिपे रहते हैं, इस अपेक्षा काल और तो तेन वाम ४ छ-ते महत्तहान " हरदहमरणभयकलुसतासणपरसंतगगिज्झलोभमूलं” “हर" " ! व्यतिनु द्रव्य ५वी सो “दह" तेन! ५२ साहिन सावी. हो, " मरण" तेने भारी ना" त्याशित "भय” भय मतावान अन्यतुं द्रव्य वस्त्र माहिश सेवु, “कलुस” मे मीलन १२ये से न तमना द्रव्य माहिने से, “तासण" त्याशित त्रास पायावी, तथा “ परसंतग" भीतना धनमा “गिज्झि” मासहित रामवी तथा “ लोभ ” शैद्रध्यानथी युक्त भूमिाव तेमा २, ते या " मूलं" महत्ताहानन भूण २। छ. “कालविसमसंसियं" मरात्री साह કાળ તથા પર્વતાદિ દુર્ગમસ્થાન તે અદત્તાદનનાં આશ્રય સ્થાને છે, એટલે કે જે અદત્તાદાન ચોરી કરે છે. તે ચોર સામાન્ય રીતે મધ્યરાત્રે ચોરી કરવા નીકળે છે, અને પર્વતાદિ દુર્ગમ સ્થાનમાં છૂપાઈ રહે છે, તે અપેક્ષાએ કાળ
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર