Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
सुदर्शिनी टीका अ. २ सू० ३ येन भावनालीक वदन्ति तन्निरूपणम् १७५ कीदृशास्ते पापिन इत्याह-' असंजया' असंयताः अवशेन्द्रियाः ‘अविरया' अविरताः पापकर्मभ्योऽनिवृत्ताः पापकर्मरता इत्यर्थः, 'कवडकुडिलफडयचटुलभावा' कपटकुटिलकटुकचटुल भावाः कपटेन-छलेन हेतुना कुटिल: बक्रः, कटुकः =अनिष्टः चटुला तृष्णया चञ्चलो भावः परिणामो येषां ते असत्यभाषणजनित भावि नरकनिगोदाद्यनन्तदुःखभोगिनो जना एवासत्यं समाचरन्तीत्यर्थः । तथा 'कुद्धा' क्रुद्धाः क्रोधिनः, 'लुदा' लुब्धाः-लोभिनः, क्रोधात् लोभाच्चासत्यं वदन्ति एवं मुग्धादयोऽपि अस्यैव-शास्त्रस्य प्रथमद्वारस्थ विंशतितमसूत्रपाठात्
टीकार्थ-(तं च पुण अलियं केइ पावा वदंति) उस अलीक वचनको जो पापी जन होते हैं वे ही बोलते हैं सब प्राणी नहीं। क्यों कि जो साधुजन होते हैं वे इस अलीक वचन से सदा दूर रहते हैं। असत्यभाषण करने वाले कैसे होते हैं यह बात सूत्रकार इन वक्ष्यमाण विशेषणों द्वारा अब समझाते हैं-( असंजया) वे असंयत होते हैं-इन्द्रियां उनके वश में नहीं होती हैं। (अविरया ) अविरत होते हैं-पापकों से निवृत्त नहीं होते हैं, अर्थात्-वे पापकर्मों में निरत रहते हैं । (कवडकुटिलकडुय. चटुलभावा ) वे कपटी होने से कुटिल-वक्र, कटुक-अनिष्ट, और चटुलतृष्णा से चंचल हैं परिणाम जिनका ऐसे होते हैं, अर्थात्-असत्यभाषण जनित पाप उदय से भावी नरकनिगोद आदि के अनंत दुःखों को भोगनेवाले मनुष्य ही असत्य वचनों को बोला करते हैं । (कुद्धा लुद्धा) वे क्रोधी होते हैं, लोभी होते हैं, अर्थात्-क्रोध एवं लोभ से असत्यभा
"तं च पुण अलिय केइ पावा वदंति" "असंजया" ते असत्य वयन પાપી લેકે જ બેસે છે બધા જ બોલતાં નથી, કારણ કે સજજને તે તે અલીક વચનથી સદા દૂર રહે છે. અસત્ય ભાષણ કરનાર લેક કેવાં હોય છે, તે વાતને સૂત્રકાર નીચે પ્રમાણેનાં વિશેષણ દ્વારા સમજાવે છે.
टीाथ-"असंजया" तेमा मसयत डायछे-धन्द्रियो भने शडाती नथी. " अविरया " अविरत बाय छ-तेसा पा५४थी निवृत्त यतi नथी, मेटले तसा पायभित दीन २९ छ. “ कवडकुटिलकडुयचटुलभावा" तेस। કપટી હોવાથી કુટિલ-વક્ર, કટુક-અનિષ્ટ, અને ચટુલ-તૃષ્ણાથી ચંચળ વૃત્તિવાળા હોય છે, એટલે કે અસત્ય ભાષણ જનિત પાપના ઉદયથી ભાવી નરક નિગોદ અનંત દુઃખને ભેગવનાર મનુષ્ય જ અસત્ય વચને બોલ્યા કરે છે. " कुद्धा लद्धा" ते ओधी डाय छ तथा सोभी डाय छे. मेटो ओध भने લેભથી અસત્ય વચને બોલે છે. એ જ પ્રમાણે મુગ્ધ આદિ વિશેષણોથી યુક્ત
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર