Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीस्त्रे अथवा एको रत्नप्रभायां द्वौ शर्क रामभायाम् एकोऽधः सप्तम्यां भवति५ (१०)। अथ ' द्वौ एकः, एकः' इति विकल्पमाह - अहवा दो रयगपभाए एगे सकरप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए होज्जा' अथवा द्वौ रत्नप्रभायाम् एकः शर्कराप्रभायाम् , एको वालुकाप्रमायां भवति १, ‘एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए, एगे सक्करापभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा' एवं पूर्वोक्तरीत्या यावत् अथवा द्वौ रत्नप्रभायाम् , एकः शर्करानभायाम्, एकः पङ्कप्रभायां भवति २, अथवा द्वौ रत्नभायाम् , एकः शकेरापभायाम् , एको मसभायां भवति ३, अथवा द्वौ रत्नप्रभायाम् एकः शकराममायाम् एकस्तमायाँ भवति ४, अथवा द्वौ रत्नप्रभाशर्कराप्रभा में और एक नारक तमःप्रभा में उत्पन्न होता है ४, अथवा-एक नारक रत्नप्रभा में दो नारक शर्कराप्रभा में और एक नारक अधः सप्तमी पृथिवी में उत्पन्न होता है ५, इस प्रकार से ये यहां तक १० भंग हैं। अब दो एक एक इस विकल्प की अपेक्षा से जो ५ भंग होते हैं उन्हें सूत्रकार प्रकट करते हैं -(अहवा-दो रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए होज्जा) अथवा-दो नारक रत्नप्रभा में उत्पन्न होते हैं, एक नारक शर्कराप्रभा में उत्पन्न होता है और एक नारक वालुकाप्रभा में उत्पन्न होता है १, (एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा) अथवा दो रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, और एक पंकप्रभा में उत्पन्न हो जाता है२, अथवा-दो रत्नप्रभामें, और एक शर्कराप्रमाने एक धूमप्रभा में उत्पन्न हो जाता है ३, अथवा-दो नारक रत्नप्रभामें, एक शर्कराप्रभामें और एक तप्तःप्रभामें उत्पन्न हो जाता है४, अथवा दो रत्नप्रभामें, एक રત્નપ્રમામાં, બે શર્કરા પ્રભામાં અને એક તમ પ્રભામાં ઉત્પન્ન થાય છે. (૫) અથવા એક નારક રત્નપ્રભામાં, બે શર્કરા પ્રભામાં અને એક નીચે સાતમી નરકમાં ઉત્પન્ન થાય છે.
આ રીતે ૧૦ ભાંગ પ્રકટ કરીને હવે ૨-૧-૧ ને વિકલ્પની અપેક્ષાએ २ पाय म थाय छ त ५४८ ४२वामा मावे छे-“ अहया दो रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, एगे वालुयप्रभाए होज्जा” (१) अथवा मे ना२४ २त्नप्रभामा ઉત્પન્ન થાય છે, એક નારક શર્કરામભામાં ઉત્પન્ન થાય છે અને એક નારક पादुनामा 4-1 थाय छे. “ एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे जाव अहे सत्तमाए होज्जा" (२) अथवा मे २त्नमामा, मे શર્કરા પ્રભામાં અને એક પંકપ્રભામાં ઉત્પન્ન થાય છે. (૩) અથવા બે રત્નપ્રભામાં, એક શર્કરા પ્રભામાં અને એક ધૂમપ્રભામાં ઉત્પન્ન થાય છે. (૪) અથવા બે રત્નપ્રભામાં એક શર્કરામભામાં અને એક તમ પ્રભામાં
श्री. भगवती सूत्र : ८