Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 590
________________ प्रमेयचन्द्रिकाटीका श०९ उ०३३ सू०१३महावीरवाक्य प्रति जमालेरश्रद्धानि ५७९ महावीरे जमालिस्स अणगारस्स दोच्चंपि तच्चंपि एवमटुं णो आढाइ जाव तुसि. णीए संचिट्ठा' ततः खलु श्रमणो भगवान् महावीरो जमालेरनगारस्य द्वितीय मपि वारं तृतीयमपि वारम् एतमर्थ पञ्चशतानगारैः सह बहिर्जनपदविहाररूपा. थे नो आद्रियते, यावत् नो वा तमर्थ परिजानाति उपेक्षाबुद्धया नानुमोदयति, अपि तु तूष्णीं सतिष्ठते मौनं समालम्बते, 'तर णं से जमाली अणगारे समणं मगवं महावीरं वंदइ, णमंसइ, वंदित्ता, णमंसित्ता, समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ बहुसालाओ चेहयाओ पडिणिक्खमइ ' ततः खलु स जमालिरनगार: 'मौनं सम्मतिलक्षणम्' इति मनसि निधाय श्रमणं भगवन्तं महावीरं वन्दते, नमस्यति, वन्दिवा, नमस्यित्वा, श्रमणस्प भगवतो महावीरस्य अन्तिकात्-समीपात् बहुशालकात् चैत्यात् - उद्यानात् , प्रतिनिष्काम्यति-निर्गच्छति, 'पडिणिदोच्चंपि तच्चपि एयमदं णो आढाइ, जाव तुसिणीए सचिट्ठह ' परन्तु श्रमण भगवान महावीर प्रभुने जमालि अनगारके इस दुबारा तिवारा भी कहे गये वक्तव्यको स्वीकार नहीं किया उस पर ध्यान नहीं दिया उसे उचित नहीं समझा-इसलिये केवल वे मौन ही रहे ‘तएणं से जमाली अणगारे समर्ण भगवं महावीरं वंदह, णमंसइ, वंदित्ता णर्मसित्ता समणस्स भगवओ महावीरस अंतियाओ बहुसालाओ चेहयाओ पडिणिक्खमह' जब जमाली अनगारने ऐसा देखा तो उन्होंने श्रमण भगवान महावीरको वन्दना की, उन्हें नमस्कोर किया और वन्दना नमस्कार करके वे श्रमण भगवान् महावीरके पास से और उस बहुशालक उद्यान से विहार किया यह समझकर कि प्रभुने हमें पांचसौ साधुओंके साथ विहार करने की “ मौनं सम्मतिलक्षणं" के णो आढाइ, जाव तुषिणीए संचिढइ ” परन्तु श्रम समपान मडावीरे भी અને ત્રીજી વાર પૂછવામાં આવેલ જમાલી અણગારની તે વાતને આદર ન કર્યો, તેની તે વાતને અનુચિત ગણીને તેમણે તે વાતની અનુમતિ ન આપી અને તે વાતને ઉચિત નહીં ગણીને જવાબ આપવાને બદલે મૌન જ રહ્યા. " तएणं से जमाली अणगारे समणं भाव महावीर वंदइ, णमंसद, वदित्ता णमंसित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ बहुसालाओ चेइयाओ पडि. णिकखमइ” पत्र १२ ५७॥ छतi ५५ मडावीर प्रभुनी माज्ञान भणपाथी “ मौन सम्मतिलक्षणं " भौन समतिनु वक्ष छे से न्याय અનુસાર “આજ્ઞા મળી ગઈ છે” એમ માનીને જમાલી અણગારે શ્રમણ ભગવાન મહાવીરને વંદણ નમસ્કાર કર્યા. વંદણું નમસ્કાર કરીને તેઓ ૫૦૦ સાધુએ સાથે શ્રમણ ભગવાન મહાવીર પાસેથી અને તે ગુણશીલક श्री. भगवती सूत्र : ८

Loading...

Page Navigation
1 ... 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685