Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 613
________________ RECE भगवतीसूत्रे 'तत्थ णं जे ते समणा निग्गंया जमालिस्स अणगारस्स एयमटुं सहति, पत्तियंति, रोयंति, तेणं जमालि चे। अणगारं उपसंपजित्ताणं विहरंति' तत्र. खलु तेषु श्रमणेषु ये ते श्रमगा निग्रंथा जमालेरनगारस्य एतमर्थ क्रियमाणं वस्तु कृतं न भवति" इसायथं श्रदधति-प्रतियन्ति-विश्वसन्ति, रोचयन्ति रुचिविषयं कुर्वन्ति, तेषु जमालिमेव अनगारम् उपसम्पद्य खलु विहरन्तितिष्ठन्ति, 'तत्य णं जे ते समगा निग्गंथा जमालिस्स अगगारस्स एयमढें णो सदहति णो पत्तियंति, णो रोयंति, तेणं जनालिस्स अणगारस्स अंतियाओ चेइयाओ पडिणिक्खमंति' तत्र खलु श्रमणानां निग्रन्थानां मध्ये ये श्रमणानिनन्थाः जमालेरनगारस्य एतमथै पूर्वोक्तार्थ नो श्रदधति, नो प्रतियन्ति विश्वसन्ति, नो रोचयन्ति रुचिविषयं कुर्वन्ति, ते खलु जमालेरनगारस्य अन्तिकात् समीपात् कोष्ठकात् कोष्ठकनाम्नश्चत्यात् उद्यानात् मतिनिष्कामन्ति-निर्गच्छन्ति, 'पडिणिअर्थ कारमें प्रकट किया जा चुका है । ' तत्थणं जे ते समणा निग्गंथा जमालिस्स अणगारस्प्त एयमढे सदति, पत्तियंति,रोयंति, ते णं जमालि चेव अणगारं उवसंपजित्ताणं विहरंति' इस तरह जमालि अनगारके माथके पांचसौ साधुओंमें जो जमालि अनगारके क्रियमाणकृत नहीं होता इस मन्तव्य पर श्रद्धावाले, प्रतीतिवाले एवं रुचिवाले बन गये वे साघु जनालिके पासही रहे और 'तस्थ णं जे ते समणा निग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एयमद्वं नो सहति णो पत्तियंति, णो रोयंति, तेणं जमालिस्स अणगारस्त अंतियाओ कोट्टयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमंति' जो श्रमण निर्गन्ध जमालि अनगारके क्रियमाण वस्तु कृत नहीं होती है, इस मन्तव्य पर श्रद्धाले, प्रनीतियाले, एवं रुचिवाले नहीं बने वे उसके पाससे और उस कोष्ठक उद्यानसे निकल “ तत्थणं जे ते समणा निगंथा जमालिस अणगारस्त एयमट्ठ सहंति, पत्तियंति, रोयंति, ते णं जमालि चेव अणगार उपसंपजित्ताणं विहरति" જમાલી અણગાર સાથે જે ૫૦૦ સાધુઓ હતા, તેમાંથી જે સાધુઓને જમાલી અણગારના મન્તવ્ય ( ક્રિયમાણ અકૃત હોય છે એવું પૂર્વોક્ત મન્તવ્ય) પ્રત્યે શ્રદ્ધા ઉત્પન્ન થઈ, તે મતવ્યની પ્રતીતિ થઈ ગઈ અને તે મન્તવ્ય यी आयु, ती मादी समारनी पासे । २ह्या. ५२न्तु " तत्थ णं जे वे समणा निग्गंथा जमालिस अणगारस्स एयम8 नो सदहति, णा रोय'ति, से गं जमालिस अणगारस्स अतियाओ कोट्टयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमंति" श्रम નિગ્રંથોને જમાલી અનુગારના તે મન્તવ્ય પ્રત્યે શ્રદ્ધા ઉત્પન્ન ન થઈ તે મન્તવ્યની જેમને પ્રતીતિ ન થઈ અને જેમને તે મન્તવ્ય રુચ્યું નહીં તેઓ જમાલી અણગાર પાસેથી અને તે કેષ્ટક ઉદ્યાનમાંથી ચાલી નીકળ્યા. श्रीभगवती. सूत्र: ८

Loading...

Page Navigation
1 ... 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685