Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 630
________________ प्रमेयचन्द्रिका टोका श०१उ०३३स. १४ जमाले कालधर्मगमनम् ६१९ सेन निष्पाधया संलेखनया शरीरशोषणरूपया आत्मानं स्वशरीरं जूषयतिकृशति क्षीणं करोतीत्यर्थः 'झूसेत्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेइ' अर्द्ध मा. सिक्या संलेखनया आत्मानं जूषित्वा कृशं कृत्वा त्रिंशत् भक्तानि अनशनतया अनशनेन छिनत्ति, 'छेदेत्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकते कालमासे कालं किचा '-त्रिंशद् भक्तानि अनशनेन छित्वा तस्य स्थानस्य अनालोचितमतिक्रान्तः-अकृतालोचनप्रतिक्रमणः आलोचनप्रतिक्रमणमकृत्वा कालमासे कालं कृत्वा ' लसए कप्पे तेरससागरोवममटिइएसु देवकिपिसिएसु देवेमु देवकिपिसिपत्ताए उववन्ने' लान्त के कल्पे विमाने प्रयोदशसागरोपमस्थितिकेषु त्रयोदश. सागरोपमा स्थितिर्यत्र तेषु देवकिलिपिकेषु देवयोनिषु देवकिल्विपिकतया देवकिल्विषिकरूपेण उत्पन्नः ॥ सू० १४ ॥ पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेह' जब उसका अन्त समय नजदीक आ गया, तब उसने अर्द्ध मासकी संलेखना धारण की, इससे उसने अपने शरीरको कृश किया अर्थात् संथारा किया 'झूसेत्ता तीस भत्ताई अणसणाए छेदेइ ' कृश करके तीस भक्तोंको उसने अनशन द्वारा छेद दिया 'छेदेत्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकते कालमासे कालं किच्चा' छेद करके वह विना पूर्व पापस्थानोंकी आलोचना और प्रतिक्रमण किये काल अवसर काल कर और 'लतए कप्पे तेरससागरोवमठिइएसु देवकिधिसिएसु देवेसु देवकिन्विसियत्ताए उववन्ने' वह लान्तक विमानमें १३ तेरह सागरोपमकी स्थितिवाले किल्विषिक देवों में-देव योनिमें-किल्विषिक देवकी पर्यायसे उत्पन्न हो गया ॥ सू० १४ ॥ पर्याय पालन यु. “ पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताण झूसेइ" ત્યાર બાદ જ્યારે તેનો અતકાળ નજદીક આવ્યા ત્યારે તેણે અર્ધા માસને સંથારે ધારણ કર્યો. અને સંથારા દ્વારા તેણે પિતાના શરીરને કુશ કરી ना यु. “ झुसेत्ता तीसं भताइ अणसण ए छेदेइ " शरीरने पृश ४ नाभीन તેણે અનશન દ્વારા ત્રીસ ભક્તોનું (ત્રીસ ટંકના જનનું) છેદન કરી नायुं. "छेदिता तस्स ठाणस अगालोश्यपडिक्कते कालमासे कालं किचा" ત્રીસ ભક્તોને પરિત્યાગ કરવા છતાં પણ પિતાના પૂર્વ પાપસ્થાનેની આલે. ચના અને પ્રતિક્રમણ કર્યા વિના, કાળને અવસર આવતા કાળધર્મ પામીને " लंतष कप्पे तेरससागरोवम ठेइएसु देवकिबिसिएसु देवेसु देव किन्विसियचाए उपवन्मे" airds विमानमा १३ सागरी५मनी स्थितिवाणा Get. ષિક દેવામાંદેવ-નિમાં-કિવિષિક દેવની પર્યાયે ઉત્પન્ન થયા. પાસ ૧૪ . श्री. भगवती सूत्र : ८

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