Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 657
________________ - - ६४६ भगवतीसूत्रे हणइ ' स खलु पुरुषः एकं पुरुषं मन अनेकान् जीयान् हन्ति, इन्यमानस्य पुरु. षस्य तदाश्रितानां तच्छरीरावष्टब्धानां लिक्षा यूका गण्डुलकादीनां हननात् । तदुपसंहरन्नाह-से तेगडेगं गोयमा ! एवं वुच्चा पुरिस पि हणइ, णो पुरिसेवि हगइ ' हे गौतम ! तन तेनार्थेन एवमुक्तरोत्या उच्यते यत् पुरुषमपि हन्ति, नो पुरुषानपि-पुरुषव्यतिरिक्तजीवानपि हन्ति, गौतमः पुनः पृच्छति-'पुरिसे णं भंते ! आसं हणमाणे कि आसं हणइ, णो आसेवि हणइ ? हे भदन्त ! पुरुषः खलु अश्वं धनन् किम् अश्वमेव हन्ति ? किंवा नो अश्वानपि हन्ति, अश्व व्यतिरिक्तजीवानपि हिनस्ति ? इति प्रश्नः, भगवानाह-' गोयमा ! आसम्पि हणइ, णो आसेवि हगइ ' हे गौतम ! अश्वं नन् पुरुः अश्वमपि हन्ति, अथच नो अश्वानपि अश्वव्यतिरिक्तजीवानपि हन्ति, गौतमः माह-' से केणणं ?" हुआ वह पुरुष हन्यमान उस पुरुषके शरीराश्रित लिक्षा, यूका, गण्डुल (पेटमें पैदा होनेवाले जीव ) आदि जीवोंको भी मारता है से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुध्या पुरिसंपि हगह, णो पुरिसे विहणइ' इस कारण हे गौतम ! मैंने ऐसा कहाहै कि वह मारक पुरुष पुरुषको भी मारता है, और उस पुरुष व्यतिरिक्त जीवों को भी मारता है, अब गौतम प्रभुसे ऐसा पूछते है - 'पुरिसेणं भंते ! आसं हगमाणे किं आसं हणइ, णो आसे वि हणइ' हे भदन्त ! घोडे की हत्या करता हुआ मनुष्य क्या घोडे ही की हत्या करता है, या घोडे से अतिरिक्त और दूसरे जीवोंकी भी हत्या करता है ? इसके उत्तरमें प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! ‘आसंपि हगह, णो आसे घि हणइ ' घोडे की हत्या करता हुआ मनुष्य घोडेको भी मारता है. एवं घोडे को मारते समय वह घोडेसे भी अतिरिक्त હિણાનાર પુરુષના શરીરાશ્રિત જૂ, લીખ, ચરમિયાં વગેરે અનેક જીવને પણ हये छ. “से तेणट्रेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-पुरिसं पि हणइ, णो पुरिसे वि હળ” હે ગૌતમ! તે કારણે મેં એવું કહ્યું છે કે પુરુષની હત્યા કરનાર તે વ્યક્તિ તે પુરુષને ઘાત કરે છે અને તે પુરુષ સિવાયના અન્ય જીવોને પણ ઘાત કરે છે. गौतम स्वाभीत। प्रह- " पुरिसे गं भंते ! आस हणमाणे हि आस हणइ, णो आसे वि हणइ ?" भगवन् ! घानी हत्या ४२ते। मनुष्य शु ઘોડાની જ હત્યા કરે છે, કે ઘેડા સિવાયના અન્ય જીની પણ હત્યા કરે છે? भावीर प्रभुना उत्त२-- 'गोयमा!" गीतम! “ आसं पि हणइ, णो आसे विहणइ" घरानो घात ४२नार ते मनुष्य थे। ५१ धात रे छ અને ઘોડા સિવાયના અન્ય જીવોને પણ ઘાત કરે છે. श्री. भगवती सूत्र : ८

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