Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 632
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीकाश०९४०३३ सू०१५ जमाले: किल्वषिकदेवतयोत्पत्तिः ६२१ टीका -- अथ गौतमो जमालेरनगारस्य कालधर्मप्राप्त्यनन्तरमुत्पत्ति पृच्छति वर णं से इत्यादि, 'तर णं से भगवं गोयमे जमालि अणगारं कालगयं जाणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेत्र उवागच्छ ' ततः खलु स भगवान् गौतमः जमालिम् अनगारं कालगतं मरणधर्मप्राप्तं ज्ञात्वा यत्रैव श्रमणो भगवान महावीर आसीत् तत्रैव उवागच्छति, ' उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं बंदर, नमंस, वंदित्ता, नमंसित्ता एवं वयासी - भगवत्समीपे उपा गत्य श्रमण भगवन्तं महावीरं वन्दते, नमस्यति, बन्दित्वा नमस्थित्वा एवं वक्ष्यमाणप्रकारेण अवादीत् - ' एवं खलु देवाणुपियाणं अंतेवासी कुसिस्से जमालीणामं अणगारे एवं खलु पूर्वोक्तरीत्या वर्णितो देवानुप्रियाणाम् भरताम् अन्तेवासी कुशिड्यो जमालिनम अनगारो वर्तते, ' से णं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए, कहिं उवबन्ने ? ' हे भदन्त ! स खलु जमालि " ' तरणं से भगवं गोयमे जमालिं अणगारं ' इत्यादि । टीकार्य -- ( तरणं से भगवं गोयमे जमालि अणगारं कालगयं जाणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ ) बाद में जब भगवान् गौतमको यह ज्ञात हुआ कि जमालि अनगार कालगत हो गये हैं-तब वे जहां श्रमण भगवान् महावीर विराजमान थे वहां आये ( उवागच्छत्ता समणं भगवं महावीरं बंदर, नर्मसह, वंदित्ता नर्मसित्ता एवं वयासी) वहां आ करके उन्होंने श्रमण भगवान् महावीरकी बन्दना की, नमस्कार किया वन्दना नमस्कार करके उन्होंने उनसे इस प्रकार कहा ( एवं देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कुसिस्से जमाली णामं अणगारे से णं भंते । जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहि गए, कर्हि उवबन्ने ? ) हे भरन्त ! आप देवानुप्रियका अंतेवासी " तरणं से भगवं गोयमे जमालि अणगार " इत्याहि टीडार्थ - " तरणं से भगव गोयमे जमालि अणगार' कालगयं जाणित्ता जेणेव समणे भगव' महावीरे तेणेव उवागच्छ " त्यारमा न्यारे भगवान ગૌતમે એ વાત જાણી કે જમાલી અણગાર કાળધમ પામી ગયા છે, ત્યારે તેઓ જ્યાં શ્રમણુ ભગવાન મહાવીર ત્રિરાજતા હતા, ત્યાં આવ્યા. " उवागच्छित्ता समणं भगव महावीर वंदs, नमसइ वंदिता नर्मसित्ता एव वयासी" त्यां भावीने तेमधे श्रम भगवान महावीरने वहया उरी, नमः સ્ટાર કર્યાં. અને વંદણા નમસ્કાર કરીને આ પ્રમાણે પૂછ્યું 66 एवं देवाणुप्रियाणं अंतेवासी कुत्सिसे जमाली णामं अणगारे से गं भंते! अणगारे काळमासे कालं किच्चा कहि गए, कहि उबवन्ने ? " हे अहन्त ! શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૮

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