Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 647
________________ ६३६ भगवतीसूत्रे गौतम ! इन्त-सत्यमेव जमालिः खलु अनगारः अरसाहारी, विरसाहारो यावत् अन्ताहारः प्रान्ताहास रूक्षाहारः, तुच्छाहारः, अथ च अरसजीवी, विरसजीवी, अन्तजीवी प्रान्तजीवी, रूक्षजीवी तुच्छजीवी उपशान्तजीवी, प्रशान्तजीवी, विविक्तजीवी आसीन , गौतमः पृच्छति 'जइण भंते ! जमाली अणगारे अरसा. हारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी ? ' हे भदन्त ! यदि खलु जमालिरनगारः अरसाहारः, विरसाहारः, यावत् विविक्तजीवी, आसीत् तर्हि-' कम्हाणं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमद्वितिएसु देवकिबिसिएसु देवेमु देवकिनिसियत्ताए उववन्ने ?' हे भदन्त ! कस्मात् खलु कारणात् जमालिरनगारः कालमासे कालं कृता लान्तके कल्पे प्रयोदश सागरोपस्थितिकेषु देवकिल्लिकेषु देवेषु देवकिल्विषिकतया उपपन्नः ?, भगहारवाला, तुच्छाहारवाला था-इस कारण वह अरसजीवी, विरसजीवी, अन्तजीवी, प्रान्तजीवी, रूक्षजीवी, तुच्छजीबी, उपशान्तजीवी, प्रशा. न्तजीवी और विविक्तजीवी था। अब गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं-' जइणं भंते ! जमाली अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव विवि. सजीवी' हे भदन्त ! यदि जमालि अनगार अरसआहार करता था, विरस आहार करता था-यावत् वह विविक्त जीवी था, तो फिर 'कम्हाणं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमट्ठिहएतु देवकिचिसिएप्सु देवेसु देवकिदिवसियत्साए उववन्ने' वह जमालि अनगार किस कारण से हे भदन्त ! काल अवसर काल करके लान्तक कल्प में १३ सागरोपम की स्थितिवाले देवकिल्विषिक देवों में किल्विषिक देव की पर्याय से उत्पन्न हुआ। આહાર કરનારા, રૂક્ષ આહાર કરનારા, અને તુચ્છ આહાર કરનારા હતા. તે કારણે તેઓ અરસજીવી, અન્તજીવી, પ્રાન્તજીવી રૂક્ષજીવી, તુચ્છ જીવી, ઉપશાન્તજીવી, પ્રશાન્તજીવી અને એકાન્તજીવી હતા. गौतम स्वामीना प्रश्न-" जहणं भंते ! जमाली अणगारे अरसाहारे, बिरसाहारे जाव विवित्तजीवी" महन्त! मासी भागार मसालाश હતા, વિરસાહારી હતા અને પૂર્વોક્ત વિવિક્તજીવી (એકાન્તજીવી) પર્વતના शशाथी युत उता, ते छतां ५ " कम्हाणं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा लतए कप्पे तेरससागरोवमद्विइएसु देवकिब्विसिएसु देबेसु देवकिविसियसाए उववन्ने ?” तो जन अस२ मारता ४ ४शन सान्त કહ૫માં ૧૩ સાગરોપમની સ્થિતિવાળા કિવિવિક દેવેમાં કિલિવષિક દેવની પર્યાયે શા કારણે ઉત્પન્ન થયા છે? श्रीभगवती. सूत्र: ८

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