Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका २० ९ ३० ३२ सू० ४ भवान्तरप्रवेशननिरूपणम् १३७
भवति ३, ' अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सम्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होज्जा४' अथवा एको रत्नप्रभायाम् , एकः शर्करामभायाम् , एको वालुकामभायाम् , एको धूमप्रभायाम् , एकस्तमायां भवति ४, 'अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकारप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा ५ ' अथवा एको रत्नप्रभायाम् , एकः शर्करामभायाम् , एको वालुकापभायाम् , एको धूमप्रभायाम् , एकोऽधः सप्तम्यां भवति ५, 'अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे. सत्तमाए होज्जा ६ ' अथवा एको रत्नप्रभायाम् , एकः शरापभायाम् , एको वालुकाप्रभायाम् , एकस्तमायाम् , एकोऽधः सप्तम्यां भवति ६, ' अहवा एगे रयणअधः सप्तमीपृथिवी में उत्पन्न हो जाता है ३, (अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होज्जा) अथवा एक नारक रत्नप्रभा में, एक नारक शर्कराप्रभा में, एक नारक वालुकाप्रभा में, एक नारक धूमप्रभा में और एक नारक तमः प्रभा में उत्पन्न हो जाता है ४ (अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा) अथवा एक नारक रत्नप्रभा में, एक नारक शर्कराप्रभा में, एक नारक वालुकाप्रभा में, एक नारक धूमप्रभा में और एक नारक अधः सप्तमी में उत्पन्न हो जाता है ५, (अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, एगे वालयप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे सत्तमोए होजा) अथवा एक नारक रत्नप्रभा में एक नारक शर्कराप्रभा में, एक नारक बालुकाप्रभा में, एक नारक तमः प्रभा में और एक नारक अधः सप्तमी
" अहवा एगे रयणपभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होज्जा" (४) अथवा से २त्नमामा, मे शशપ્રભામાં, એક વાલુકાપ્રભામાં, એક ધૂમપ્રભામાં અને એક તમ પ્રભામાં उत्पन्न याय छे. “ अहबा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालु यत्पभाए, एगे धूमपभाए, एगे अहे सत्तमाए होजा" (५) अथवा से ना२४ २(नामा, નારક શરામભામાં, એક નારક વાલુકાપ્રભામાં, એક નારક ધૂમ પભામાં અને मे ना२४ नीय सातभी न२४मा उत्पन्न याय छे. " अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा (૬) અથવા એક નારક રત્નપ્રભામાં, એક નારક શર્કરા પ્રભામાં, એક નારક વાલુકાપ્રભામાં, એક નારક તમ પ્રભામાં અને એક નારક નીચે સાતમી નર.
म १८
श्रीभगवती. सूत्र: ८