Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसूत्रे इति क्रमेण रत्नप्रभाषाधान्ये षट् ६, शर्करा प्रभा पाधान्ये एकः १ इति प्रथमविकल्पे सप्त भङ्गाः ७, एषां षभिर्विकल्पैर्गुणने द्विचत्वारिंशद् ४२ भङ्गा भवन्तीति ।
अथ सप्तक संयोगस्य एकं विकल्पमाह- अहवा एगे रयणप्पभाए, 'एगे सक्करप्पभाए, जीव एगे अहेसत्तमाए होज्जा' अथवा एको रत्नपभायां भवति, एकः शर्कराप्रभायां, यावत्-एको वालुकाप्रभायाम् , एकः पङ्कप्रभायाम् , एको प्रभा में, और दो नारक अधः सप्तमीपृथिवी में उत्पन्न हो जाते हैं ६, एक नारक शर्कराप्रभा में, एक नारक वालुकाप्रभा में एक नारक धूम प्रभामें एक नारक तमः प्रभा में और दो नारक अबः सप्तमी में उत्पन्न हो जाते हैं ७ इसक्रम से रत्नप्रभापृथिवी की प्रधानता में ६ भंग और शर्कराप्रभापृथिवी की प्रधानता में एक भंग ऐसे ये सात भंग प्रथम विकल्प में होते हैं। इन ७ भंगों के साथ पूर्वोक्त ६ विकल्पों का गुणा करने से ४२ भंग हो जाते हैं । सात नैरयिकोंके प्रथम विकल्पमें षट् सयोगी भगो का कोष्टक टीका में दिखाया हैं सो वहाँ देख लेवें।
अब सप्तकसंयोग के एक विकल्प को सूत्रकार प्रकट करते हैं(अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, जाव एगे अहे सत्तमाए होज्जो) अथवा एक नारक रत्नप्रभा में उत्पन्न हो जाता है, एक नारक शर्कराप्रभा में उत्पन्न हो जाता है, यावत्-एक नारक वालुकाप्रभा में उत्पन्न हो जाता है, एक नारक पंकप्रभा में उत्पन्न हो जाता है, एक नारक धमप्रभा में उत्पन्न हो जाता है, एक नारक तमः प्रभा में उत्पन्न हो जाता है और एक नारक अधः सप्तमी में उत्पन्न हो जाता है सात સાતમી નરકમાં ઉત્પન્ન થાય છે. (૭) અથવા એક નારક શર્કરા પ્રભામાં. એક નારક વાલુકાપ્રભામાં, એક નારક પંકપ્રભામાં, એક નારક ધૂમપ્રભામાં, એક નારક તમ પ્રભામાં અને બે નારક નીચે સાતમી નરકમાં ઉત્પન્ન થાય છે. આ કમથી રત્નપ્રભાની પ્રધાનતાવાળા ૬ ભંગ અને શર્કરા પ્રભાની પ્રધાનતા. વાળે એક ભંગ બને છે. આ રીતે પહેલા વિકપના કુલ ૭ભંગ બને છે.સાત सा४ि६५न भजीन ४१७४६ %D४२ ५ सयोगी याय छे.
वे सू२ सH४सयागना मे ४ि५ने ५४ रे छे-“ अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, जाव एगे अहे सत्तमाए होज्जा" ५२१ मे ना२४ રનમભામાં, એક નારક શર્કરામભામાં, એક નારક વાલુકાપ્રભામાં, એક નારક પંwભામાં, એક નારક ધૂમકલામાં, એક નારક તમામલામાં અને એક નાર,
श्रीभगवती. सूत्र: ८