Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टी० श०९ ३० ३२ सू० ३ भवान्तरप्रवेशनकनिरूपणम् ८९ एगे अहेसत्तमाए होज्जा' अथवा एको रत्नप्रभायाम् , एकः शर्करामभायाम् , एको वालुकामभायाम् , एकोऽधः सप्तम्यां भवति ४ । 'अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होज्जा' अथवा एको रस्नप्रभायाम् , एकः शर्करामभायाम् , एकः पङ्कप्रभायाम् , एको धूमप्रभायां भवति५। 'अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए होज्जा' अथवा एको रत्नप्रभायाम् , एकः शर्करामभायाम् , एकः पङ्कपभायाम् , एकस्तमायां भवति ६, ' अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा' अथवा एको रत्नप्रभायाम् , एकः शर्कराएगे वालुययभाए, एगे अहे सत्तमाए ४ ) अथवा एक नारक रत्नप्रभा में एक नारक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक अधः सप्तमी पृथिवी में उत्पन्न हो जाता है ४, (अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होज्जा) अथवा एक नारक रत्नप्रभा में, एक नारक शर्कराप्रभा में, एक नारक पंकप्रभा में
और एक नारक धूमप्रभा में उत्पन्न हो जाता है ५, ( अहवा - एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए होज्जा) अथवा एक नारक रत्नप्रभा में, एक नारक शर्कराप्रभा में, एक नारक पंकप्रभा में और एक नारक तमः प्रभा में उत्पन्न हो जाता है ६ (अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे अहे सत्ता माए ७) अथवा एक नारक रत्नप्रभा में, एक नारक शकराप्रभा में, एक मन मे ना२४ तमामामा उत्पन्न थाय छे. “ अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरपमाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा" (४) मथ। નારક રત્નપ્રભામાં, એક નારક શર્કરા પ્રભામાં, એક નારક વાલુકાપ્રભામાં અને એક નારક નીચે સાતમી નરકમાં ઉત્પન્ન થાય છે.
“ अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे पकप्पभाए, एगे धूमप. भाए होज्जा" (५) अथवा से ना२४ २त्नमामा, ये ना२४ शशमामां मे ना२४ ५४प्रभामा मने से ना२४ धूमप्रमामा उत्पन्न थाय छ “ अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए, एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जो " (6) અથવા એક નારક રત્નપ્રભામાં, એક નારક શર્કરામભામાં, એક નારક પંકप्रभामा मने ये ना२४ तमः ५भामा उत्पन्न थाय छे. " अहवा एगे रयणप्प. भाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे पकप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा" (७) (૭) અથવા એક રત્નપભામાં, એક શર્કરા પ્રભામાં, એક પંકપ્રભામાં અને એક અધઃ સપ્તમીમાં હોય છે. भ० १२
श्रीभगवती. सूत्र: ८