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दूसरा अध्याय
बुद्ध के जन्म-समय में भारत की दशा
संसार के इतिहास में ई० पू० छठी शताब्दी चिर-स्मरणीय है। इसी शताब्दी के लगभग भारत में भगवान बुद्ध का, चीन में कनफूची का और ईरान में जरतुश्त का जन्म हुआ था। उस समय सब ओर लोगों के मन में नई नई शंकाएँ और नये नये विचार उत्पन्न हो रहे थे। उन दिना प्रचलित धर्म के प्रति असंतोष
और अविश्वास फैला हुआ था। लोग नये नये भावों और विचारों से प्रेरित होकर परिवर्तन के लिये लालायित हो रहे थे। वे एक ऐसे पुरुष की प्रतीक्षा कर रहे थे, जो अपने गम्भीर विचारों से उनकी शंकाओं का समाधान करता, जो अपने सदुपदेश से उनकी आत्मिक पिपासा शांत करता और जो उनके सामने एक ऊँचा आदर्श रखकर उनके जीवन को उन्नत करता । जब समाज की ऐसी दशा होती है, तब किसी महापुरुष का जन्म या अवतार अवश्य होता है। वह समाज के सामने अपने जीवन का आदर्श रखता है । उस समय के लोगों की आशाएँ और अभिलाषाएँ उसमें प्रतिबिंबित होती हैं। वह अपने समय के लोगों का मूर्तिमान आदर्श होता है। अतएव किसी महापुरुष के जीवन और महत्व को ठीक ठीक समझने के लिये यह आवश्यक है कि पहले हम तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक दशा से पूरी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com