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बौद्ध-कालीन भारत किया है, वह तो किया ही है। साथ ही अपने से पूर्व काल की भी बहुत सी बातों का उल्लेख किया है, जिनसे बौद्ध काल का बहुत सा इतिहास विदित होता है ।
(३)शिलालेख तथा सिक्के आदि
शिलालेख-बौद्ध काल का इतिहास जानने के लिये शिलालेखों से भी बहुत सहायता मिलती है। यदि अनेक राजाओं के शिलालेख अब तक सुरक्षित न रहते, तो बहुत से राजाओं के नामों
और वंशों का पता भी हम लोगों को न लगता । इनमें से सब से अधिक महत्व के शिलालेख मौर्य सम्राट अशोक के हैं। अशोक का अधिकतर इतिहास उसके शिलालेखों से ही जाना जाता है । कुल मिलाकर उसके तीस से अधिक शिलालेख हैं, जो चट्टानों, गुफाओं की दीवारों और स्तम्भों पर खुदे हुए मिलते हैं। अशोक के शिलालेख भारतवर्ष के भिन्न भिन्न भागों में, हिमालय से लेकर मैसूर तक और बंगाल की खाड़ी से लेकर अरब सागर तक, पाये जाते हैं । अशोक के पहले का कोई शिलालेख अब तक नहीं मिला है। अशोक के बाद बौद्ध काल के असंख्य शिलालेख भारतवर्ष में चारों ओर पाये गये हैं, जिनका उल्लेख यथा स्थान किया जायगा।
सिक्के-बौद्ध काल के इतिहास की खोज में सिक्कों का महत्व अन्य ऐतिहासिक सामग्री से कुछ कम नहीं है। सिक्कों की सहायता से बौद्ध काल के कई अंधकाराच्छन्न भागों का क्रमबद्ध और विस्तृत इतिहास लिखा जा सकता है। प्राचीन भारतवर्ष के यूनानी (इंडोShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com