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बौद्ध-कालीन भारत काल चाहे जो हो, पर इसमें कोई संदेह नहीं कि इसके कथानक की घटनाएँ सच्ची हैं।
राजतरंगिणी-कश्मीर के कल्हण पंडित का रचा हुआराजतरंगिणी नामक ग्रंथ ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व का है। संस्कृत साहित्य में यही एक ऐसा ग्रंथ है, जिसे हम ठीक ठीक अर्थ में इतिहास कह सकते हैं। इसका रचना-काल ईसवी बारहवीं शताब्दी है। इससे बौद्ध काल के संबंध की बहुत सी प्राचीन बातों का पता लगता है। (२) विदेशी इतिहासकारों और यात्रियों के
ग्रंथों में भारत के उल्लेख सिकंदर के समकालीन यूनानी इतिहास-लेखक-सिकंदर के समय तक भारतवर्ष युरोप की दृष्टि से छिपा हुआ था। पहले पहल सिकंदर के आक्रमण से ही युरोप के साथ भारतवर्ष का संबंध हुआ । सिकंदर के साथ कई इतिहास-लेखक भी थे, जिन्होंने तत्कालीन भारत का वर्णन अपने इतिहास-ग्रंथों में किया है । कई चीनी यात्रियों के यात्रा-विवरण भी इस संबंध में बहुत महत्व रखते हैं। यहाँ हम उनमें से कुछ मुख्य लेखकों का ही परिचय कराते हैं। ___ मेगास्थिनीज-सिकंदर की मृत्यु के लगभग बीस वर्ष बाद सीरिया और मिस्र के राजाओं ने मौर्य साम्रट् के दरबार में अपने अपने राजदूत भेजे थे। इन राजदूतों ने भारतवर्ष का जो वर्णन किया है, उसका कुछ भाग बहुत से यूनानी और रोमन
लेखकों के ग्रंथों में उद्धृत किया हुआ मिलता है । इन राजदूतों में Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com