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बौद्ध-कालोन भारत बुद्ध भगवान् के समय की भारत की राजनीतिक, सामाजिक
और धार्मिक दशा का बहुत कुछ ज्ञान हो सकता है। आगे चलकर इन ग्रंथों का विस्तृत वर्णन किया जायगा। ये ग्रंथ कदाचित् बुद्ध के निर्वाण के कुछ ही समय बाद बने थे। इनसे हमें गौतम बुद्ध के बाद की कुछ शताब्दियों का प्रामाणिक इतिहास मिलता है । बौद्ध धर्म के अधिकतर पाली ग्रंथ लंका से प्राप्त हुए हैं। बौद्ध धर्म के अधिकतर संस्कृत ग्रंथ कनिष्क के समय के तथा उसके बाद के हैं । ये प्रायः पाली ग्रंथों के अनुवाद हैं, या उनके
आधार पर लिखे गये हैं; और अधिकतर नेपाल, तिब्बत, चीन, जापान और चीनी तुर्किस्तान में पाये गये हैं।
जैन धर्म के सूत्र-ग्रंथ-जैन धर्म के सूत्र-ग्रंथ ईसा पूर्व तीसरी या चौथी शताब्दी के कहे जाते हैं, पर कदाचित् ये इससे भी पुराने हैं। इनसे प्राचीन बौद्ध काल के विषय में बहुत सी ऐतिहासिक बातें मालूम हुई हैं । ये ग्रंथ प्राचीन अर्ध-मागधी भाषा में हैं। ___ कौटिलीय अर्थशास्त्र-चाणक्य अथवा कौटिल्य के अर्थशास्त्र सेमौर्य साम्राज्य के शासन के सम्बन्ध में बहुत सी बहुमूल्य बातों का पता लगा है। कहा जाता है कि चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य का प्रधान मंत्री था । मेगास्थिनीज़ ने भारतवर्ष का जो वर्णन किया है, उसमें और अर्थ शास्त्र में लिखी हुई बातों में बहुत कुछ समानता है।
पतंजलि का महाभाष्य-पतंजलि शुंग वंशी राजा पुष्यमित्र के समकालीन थे। उनके महाभाष्य में जहाँ तहाँ उस समय का थोड़ा बहुत उल्लेख आया है।
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