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इतिहास की सामग्री
सीरिया के राजासेल्यूकस के राजदूत मेगास्थिनीज का नाम विशेषसया उल्लेखनीय है । मेगास्थिनीज कई वर्षों तक चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में था। वहाँ रहकर उसने अपना समय भारत की तत्कालीन राजनीतिक तथा सामाजिक दशा का ऐतिहासिक विवरण लिखने में लगाया था। उसके वर्णन का केवल कुछ ही अंश-और वह भी दूसरों के ग्रंथों में मिलता है।
एरियन-ईस्वी दूसरी शताब्दी में एरियन नाम का एक यूनानी-रोमन अफसर हो गया है। उसने भारतवर्ष का तथा सिकंदर के आक्रमण का बहुत अच्छा वर्णन किया है। उसने अपना इतिहास लिखने में सिकंदर के उच्च राज-कर्मचारियों के लिखे हुए वर्णनों और यूनानी राजदूतों के लेखों से बहुत कुछ सहायता ली है। ई० पू० चौथी शताब्दी का इतिहास जानने के लिये एरियन के ग्रंथ बहुत महत्व के हैं।
फाहियान और हेन्त्सांग-फाहियान ई० पाँचवीं शताब्दी के प्रारंभ में चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के समय और ह्वेनसांग ई. सातवीं शताब्दी में हर्ष के समय चीन से भारतवर्ष में यात्रा करने के लिये आये थे। उन्होंने तत्कालीन भारत का जो कुछ वर्णन
* यूनानी और रोमन इतिहास-लेखकों तथा यात्रियों ने भारत का जो कुछ वर्णन जहाँ जहाँ किया है, उसे एकत्र करके मि० मैक् क्रिन्डिल ने निम्नलिखित छः खंडों में अनुवाद किया है-(1) Ktesias. (2) Indika of Megasthenes and Arrian. (3) Periplus of the Erythracan Sea. 74)Ptolemy's Geography(5) Alexander's loyasion. (6) Ancient India, as described byother Classical Writers. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com