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क्षय हो गया । तथा आप कवल जानी मुनि बन गये । आपक साथ और बहुत भव्य प्राणियों ने दीक्षा ली और सब ने आत्म कल्याण किया।
(२) सगर-यह अजितनाथ जी के समय में हुए । इक्ष्वाकु वंशी पिता समुद्र विजय माता सुवाला थी, सगर के ६०००० पुत्र थे। एक बार इन पुत्रो ने सगर से कहा कि हमे कोई कठिन
काम बताइये, तब सगर ने कैलाश के चारो ओर खाई खोदकर ___ गगा नदी बहाने की आज्ञा दो । वे गये। खाई खोदी तब सगर
के पूर्व जन्म के मंत्री मुनिकेतु देव ने अपन वचन अनुसार सगर -का वराग उत्पन्न कराने के लिये उन सर्व कुमारों को अचेत करके सगर के पास आकर यह समाचार कहे कि आपके पुत्र सब मर गये। यह सुनकर सगर को वैराग्य हो गया और भगीरथ को राज्य दे आप-साधु हो गये । पुत्र जब सचेत हुए और पिता का साधु होना सुना तो यह भी सर्व त्यागी बन गये।
(३) माघव- यह चक्रवर्ती सगर से बहुत काल पीछे श्री धर्मनाथ जी के मोक्ष हा जाने के बाद हुए। इक्ष्वाकुवंशीय राजा सुमित्र और सुभद्रा के पुत्र थे, अयोध्या राजधानी थी, बहुत काल राज्य कर प्रियमित्र पुत्र को राज देकर साधु हो तप कर मोक्ष पधारे।
(४) सनत्कुमार-कुछ काल बीतने के बाद चौथे चक्रवर्ती अयोध्या के इक्ष्वाकु वशीय राजा अनन्त वीर्य और रानी सहदेवी के पुत्र आप बड़े न्यायी सम्राट्थे, तथा बड़े रूपवान् थे। एक दिन आपके