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केवल ज्ञानी होना आयुधशाला मे सुदर्शन चक्र का प्रकट होना, अपने पुत्र का जन्म होना। अपने धर्म को श्रेष्ट समझकर पहिले ऋषभदेव के दर्शन किये फिर लौट कर दोनो लोकिक काम किये। भरत ने दिग्विजय करके भरत खण्ड को वश किया, मुख्य सेनापति हस्तिनापुर का राजा जयकुमार था, छोटे भाई बाहुवली -ने इनको सम्राट नही माना, तब इनसे युद्ध ठहरा । मंत्रियो की सम्मति से सेना की व्यर्थ मे जिससे किसी भी प्रकार की क्षति न हो, इस कारण परस्पर तीन प्रकार के युद्ध ठहरे। दृष्टियुद्ध, जलयुद्ध एवं मल्लयुद्ध तीनो युद्धो मे भरत ने बाहुवलों से हारकर क्रोधित हो बाहुबली का कुछ विगाड़ न सका तो भरत बहुत लज्जित हुए । उधर बाहुबली अपने बड़े भाई भरत की राज्य लक्ष्मी की निन्दा कर तुरन्त साधु हो गया और बहुत कठिन तपश्चर्या करने लगे। एक वर्ष तक लगातार ध्यान में खड़े रहने से इनके शरीर पर बेले चढ़ गई। अन्त मे केवल ज्ञान प्राप्त कर मोक्ष पधार गये। ___ भरत बड़े न्यायी थे, इनका बड़ा पुत्र अर्ककीर्ति (सूर्यकुमार) जिससे सूर्यवश चला है । काशी के राजा प्रकम्पन ने अपनी पुत्री सुलोचना के सम्बन्ध के लिये स्वयम्बर मण्डप रचा तव सुलोचना ने भरत के सेनापति जयकुमार के गले मे माला डाली। इस पर अर्ककीर्ति ने रुष्ट होकर झगड़ा किया किन्तु चक्रवर्ती भरत ने अपने पुत्र की अन्याय प्रवृत्ति पर बहुत खेद किया और उसका किसी प्रकार का पक्ष न लेकर उचित न्याय किया ।