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के पश्चात् हुवे राजों का वर्णन । श्री महावीर स्वामी के निर्वाण के दूसरे ही दिन अवंती नगरी मे पालक का राज्याभिषेक हुवा। पालक ने ६० वर्प राज किया। पश्चात् १५० वर्ष नन्दो ने राज किया । १६० वर्ष मौर्यो ने राज किया। ३५ वप पुष्यमित्र ने । राज किया । ६० वर्ष बल मित्र भानुमित्र ने राज किया । ४० वर्ष नभसेन ने राज किया। १०० वर्ष गर्धभिल्लोका राज रहा । पश्चात् शक राजो का राज हुवा। श्री महावीर स्वामी के निर्वाण हुए ६०५ वर्ष वीतने वाद शक राजा उत्पन्न हुवा।।
भरत क्षेत्र के वर्तमान प्रसिद्ध .....१२ चक्रवर्ती । इस भरत क्षेत्र के छः विभाग है,, दक्षिण मध्य भाग को आर्य खण्ड व शेष ५ को म्लेच्छ खण्ड कहते है । काल का परिवर्तन आर्य खण्ड मे ही होता है। म्लेच्छ खण्डो मे दुखमा सुखमा काल की कभी उत्कृष्ट और कभी जघन्य रीति रहती है। जो इन छः खण्डो के स्वामी होते है उनको चक्रवर्ती राजा कहते हैं । चकवर्ती के चौदह रत्न होते है। जिस मे सात एकेन्द्रिय रत्न अचेतन होते है। १ सुदर्शन चक्र, २ छत्र, ३ दण्ड, ४ खड़ग, ५ मणि, ६ चर्म, ७ काकिनी, सात पंचेन्द्रिय चेतन रत्न होते है। १ सेनापति, २ गृहपति, ३ शिल्पी, ४ पुरोहित ५ पटरानी, ६ हाथी, ७ अश्व । नौ निधान होते है १ काल, २ महाकाल, ३ नैसर्व, ४ पाण्डूक, ५ पद्म, ६ माणक, ७ पिंगल, ८ शख, ६ सर्वरत्न । जो क्रम से पुस्तक असिमसी साधन, भाज्जन, धान्य, वस्त्र, आयुध, आभूषण वार्दित्र वस्त्रो के भण्डार होते है। इन