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___ बाइसवे तीर्थकर के मोक्ष मे पधार जाने के पौने चौरासी हजार वर्ष के पश्चात् बनारसी नगरी मे अश्वसेन राजा रानी वामादेवी के तेईसवे तीर्थकर श्री पार्श्वनाथ जी पौप कृष्ण १० को हुए। ३० वर्ष पर्यन्त गृहस्थाश्रम मे रहे। बाद में पौष कृष्ण एकादशी को बनारसी के पास उपवन मे दीक्षा ली। दीक्षा के चौरासी दिन बाद केवल ज्ञान हुआ चैत्र कृष्ण ४ को और सत्तर वर्ष तक संयम पाला। सव कर्म क्षय करके श्रावण शुक्ला अष्टमी को मोक्ष पधारे । दीक्षा धारण के बाद देवता द्वारा पार्श्वनाथ, भगवान् को उपसर्ग हुआ था।
ईसा से ८०० वर्ष पूर्व का अनुमान लगाया जाता है कि ऐतिहासिक लोग गहरी छानबीन के बाद पार्श्व संवत् तक पहुंचते है। । ।
तेइस २३ वे श्री पार्श्वनाथ भगवान् के मोक्ष प्राप्त करने के अनुमान २५० वर्ष के बाद श्री महावीर स्वामी मोक्ष में पधारे। क्षत्री कुंड नगर मे सिद्धार्थ भूप एवं त्रिशला देवीजी की कुख से महावीर का जन्म हुआ। तीस वर्ष पर्यत गृहस्थाश्रम में रहे। बाद मे संयम लेकर साढ़े बारह वर्ष तक घोर तपस्या करके कर्म नाश किये। केवल ज्ञान को प्राप्त किया। बहत्तर ७२ वर्ष की आयु भोगकर मोक्षपद को प्राप्त किया। चैत्र शुक्ला त्रयोदशी के रोज आपका जन्म एवं कार्तिक अमावस्या को मोक्षपद प्राप्त हुआ।
चौबीसवें धर्मावतार श्री महावीर स्वामी के मोक्ष प्राप्त करने