________________ सम्मेलन से माला हो जाती है। इसी भाँति एक नय में सम्यक्त्व नहीं है; परन्तु नयों के समुदाय में है। एक मोती को कोई माला नहीं कह सकता है। यदि कोई कहे तो वह मृषावादीझूठा समझा जाता है। इसी तरह एक नय में सम्यक्त्व नहीं है; यदि कोई धृष्ट हो कर, एक नय में सम्यक्त्व बतावे, तो वह झूठा है / इस लिए यह सिद्धान्त बना लेना कि, एक वस्तु में जो गुण नहीं होता है वह उस के समुदाय में भी नहीं होता है, भूल भरा है। पदार्थों के धर्मोकी शक्तियाँ तो अचिन्त्य हैं। निक्षेप का स्वरूप / " निक्षिप्यते-स्थाप्यते वस्तुतत्त्वमनेनेति निक्षेपः " भावार्थ-जिस के द्वारा वस्तु-तत्त्व स्थापन किया जाता है, उस को निक्षेप ' कहते हैं। . इस के-निक्षेप के-सामान्यतया चार भेद हैं। क्षयोपशम के प्रमाण से इस के छ, आठ, दस, बीस, जितने चाहे उतने भेद हो सकते हैं। यहाँ हम केवल चार का ही वर्णन करेंगे। चार ये हैं-(१) नाम (2) स्थापना (3) द्रव्य और ( 4 ) भाव / एक 'जीव' पदार्थ को छोड़कर अन्य सब पदार्थों पर ये चारों भेद घटित किये जा सकते हैं। कई आचार्य तो इनको कथंचित् जीव में भी घटित करके बता देते हैं।