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व्रत कथा कोष
सप्तमी एकाशन करता हा अष्टमी को उपवास करता है। इस प्रकार कृष्णपक्ष । में द्वितीया, पंचमी, अष्टमी को तीन उपवास करता है।
____ शुक्लपक्ष में द्वितीया को एकाशन, तृतीया को उपवास, चतुर्थी को एकाशन, पंचमी को उपवास, षष्ठि को एकाशन, सप्तमी को एकाशन, अष्टमी को उपवास करता है । इस प्रकार शुक्ल पक्ष में तृतीया, पंचमी और अष्टमी को उपवास करता है ।
श्रावण मास वर्ष का प्रथम मास माना जाता है । इसलिए. प्रत का प्रारम्भ श्रावण मास से होता है । व्रत करने वाला श्रावण मास में कुल छह उपवास करता है । इसी प्रकार प्रत्येक मास में कृष्णपक्ष में द्वितीया, पंचमी, अष्टमी तथा शुक्ल पक्ष में तृतीया, पंचमी और अष्टमी को व्रतिक को उपवास करने चाहिए । १२ मास में उपवासों की संख्या ७२ होती है । रत्नावली व्रत में इस प्रकार ७२ उपवास किये जाते हैं । यह एक वर्ष का व्रत है। द्वितीय वर्ष भाद्रपद मास में इसका उद्यापन करना चाहिए । उद्यापन को शक्ति न हो तो व्रत को दो वर्ष करना चाहिए ।
एकावली प्रत भी श्रावण से प्रारम्भ किया जाता है । श्रावण कृष्ण चतुर्थी, अष्टमी और चतुर्दशी को प्रतिक को उपवास करना चाहिए तथा शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा, पंचमी, अष्टमी और चतुर्दशी को उपवास करना चाहिए । इस प्रकार श्रावण मास में सात उपवास करना चाहिए। भाद्रपद आदि मासों में भी कृष्ण पक्ष की चतुर्थी, अष्टमी और चतुर्दशी को तथा शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, पचमी, अष्टमी और चतुर्दशी को इस प्रकार सात उपवास प्रत्येक महिने में किये जाने चाहिए।
द्विकावली व्रत में दो दिन लगातार उपवास करना पड़ता है । इस व्रत के लिए भी दो उपवासों का ही ग्रहण किया गया है । श्रावण के कृष्ण पक्ष में चतुर्थी-पंचमो, अष्टमो नवमो और चतुर्दशो-अमावस्या तथा शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा-द्वितीया, पंचमी, षष्ठि, अष्टमी-नवमी और चतुर्दशी-पूर्णिमा इस प्रकार कुल सात उपवास करने चाहिए भाद्रपद आदि मासों में भी उक्त तिथियों में व्रत करने चाहिए । एक वर्ष में ८४ उपवास इस व्रत में किये जाते हैं। प्रत्येक उपवास दो दिनों का होता है।
इन देवासिक व्रतों के लिए सूर्योदयकाल में कम से कम छह बड़ी तिथि का रहना आवश्यक है। जैसे किसी को रत्नावली व्रत करना है । इस व्रत का प्रथम उमत्रास श्रावण के कृष्ण पक्ष की द्वितीया को होता है । यदि शनिवार को द्वितीया