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मु० मुंबई मध्ये सुश्रावक देवगुरु भक्तिकारक शा० लहेरुचंद चुनीलाल कोटवाल तथा शा० मणीलाल चुनीलाल मोदी तथा शा० अमीचंद खेमचंद शा० हीरालाल लल्लुभाइ कपडीओ शा० मणीलाल रतनचंद चैद आदि समस्त श्री संघ योग्य धर्मलाभ पूर्वक विदीत रहेकी यहां पर श्री देवगुरु धर्मके प्रसाद से सुख माता है.
वि. तुम्हारा पत्र तथा छपी हुइ चुकादाकी नकल और हेन्डबील आदि पहुंच अत्यंत खेदके साथ लीखा जाता है की कोटावाला शेठ पुनमचंद करमचंद ने परम पवित्र प्राचिन श्री चारुप तिर्थके संबंध में जो चुकादा लीखा है वो एक तर्फी होनेसे जैन श्री संघको कबुल करना योग्य नहि है.
और मेसाणा कोर्टसें जीस केसमें जैन लोकोकी जीत हूइथी तो फिर इस केस के लवादनामा उक्त शेठजीको सोंपनेकी क्या जरुरतथी और चूकादा भी एकही तर्फका लीखा गया है यदि वो चूकादा कायम रहा तो भविष्य में उस चुकादेसें अपने प्राय सर्व जैन तिथों में और ग्राम व शहरोंके देहेंरासरोंमे वडा मारी भयंकर नुकसान जैन श्री संघको
उठाना पडेगा,
क्योंकि प्राय अनेक जैन मंदिरो में ब्राह्मण पुजारीओने स्वपुजा करनेके लीये महादेव आदि देवोकी मुर्तीये रखी है और जैनोने लीहाज तथा दयाभावसें नहि रोका इस लिये यह चूकादा उन उन स्थानापर अत्यंत हानीकारक होजायगा वास्ते जो जैन लोक इस वखत जो कुंभकरणकी नींदगें पड़े रहे और चुकादा रजीस्टर्ड हो गया तो सासनकी हानी होनेमें जराभी संदेह नहि समजना क्योंकि इस चुकादेके बांचनेसे धर्मोष्ट सभी जैन के मन अत्यंत दुखीत होते है इस लीए पाटण आदि समस्त
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