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आदि धर्मात्मा पुरुषन का नाम लेते पाप का नाश होय, सो नाम मंगल है। तीर्थ धर देव के शरीर की नकल बनाय स्थापना करि पूजना, सो स्थापना मंगल है। अरहन्तादि परमेष्ठी के शरीर हैं सो इनका देखना, पूजना, सुमिरण करना, तापरिवार का पास करना, पुरका संचय करना होय, सो द्रव्य मंगल है। जहाँ यतीश्वर ध्यान-अग्नि कर अष्ट कर्म नाशि सिद्ध लोककों प्राप्त भये। जैसे सोनागिरिजी, सम्मेदशिखरजी, पावापुरजी आदि उत्तम क्षेत्रन का नाम लिये पूजा वन्दना किये, पुण्य का बन्ध होय, पाप का नाश होय, सो क्षेत्रमंगल है। जिन कालन में जिनेन्द्रदेव के गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण आदि पंच कल्याणक भये होंय सो, तथा नन्दीश्वर विष अष्टाहिका आदिक जिन पूजन के दिन हैं सो कालमंगल हैं। इन काल का नाम लेते, वन्दना करते, ध्यान करते. पाप का नाश होय, पुण्य का लाभ होय, सो कालमंगल है। अष्टकरहित सिद्ध भगवान तथा च्यारि घातिया कर्मरहित तीर्थङ्कर अनन्त चतुष्टय सहित समोशरणादि उत्कृष्ट सम्पदा लेय दिव्य ध्वनि करि उपदेश देते जो साक्षात् भगवान् तिनका नाम ले, स्मरण करते ध्यान करते पाप का नाश होय पुण्य का लाभ होय, सो भावमंगल है। ऐसे ये षट प्रकार मंगल हैं सो भव्य जीवनकों शास्त्र सुनने में बाँचने में पूजन करने में मंगलकारी होहु। याका नाम मंगल भेद है। सो भले कवीश्वरनिकों प्रथम ग्रन्थारम्भ करते मङ्गलकारी होय हैं। बहुरि ग्रन्धारम्भ करिये है ता समय ऐसा विचारिये है जो यह ग्रन्थ करें हैं सो भव्य जीवनि के पाप नाश होने तिनका मिथ्यात्व मिट सम्यक्त्व होने के तथा परभव स्वर्ग मोक्ष होने कं इत्यादि धर्मार्था जीवन कं, शुभ फल को प्राप्ति के निमित्त ग्रन्थ करिये है, सो याका नाम निमित्त भेद है।२। और भव्य जीवनि के पढ़ने, सुनने, उपदेश देने हेतु शास्त्र करिये है सो हेतु नाम गुण है। ३। प्रमाण भेद दोय हैं एक तौ अर्थ प्रमाण, एक अक्षर पद प्रमाण । सो अर्थ प्रमाण तौ अनन्त हैं। ताका तारतम्य भेद सर्वज्ञ केवल-ज्ञानी जाने हैं सो शुद्धमस्थ के ज्ञानगम्य नाहों तात नहीं लिखा। अक्षर प्रमाण है सो अक्षर को गिनती जो या ग्रन्थ के रोसे श्लोक हैं सो अक्षर प्रमाण है। ऐसे दोय प्रकार प्रमाण नाम गुण है। ४। ग्रन्थ पूरण होतें कोई मोक्षमागं सूचक शुभ नाम विचार, ग्रन्थ का पुण्याधिकारी भला नाम देना, सो नाम गुण है । ५। ग्रन्थ के पूरण होते मङ्गलाचरण करि ग्रन्थ का कर्ता अपने नाम का भोग धरै, सो कर्ता नाम गुण है।६। रोसे र षट गुणन का कथन ग्रन्थ के आदि में किया।