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प्रमैयचन्द्रिका वैषा पा०२५ २.६ १०९ एकोनविंशतितम लेश्याद्वारम् १७९ वान कषायकुशीलो भवतीति भावः 'णियंठे णं भंते ! पुच्छ।' निर्ग्रन्थः खलु भदन्त ! कि सलेश्यो भवति अलेश्यो वा भवतीति पृच्छा-प्रश्नः, भगवानाइ'गोयमा' इत्यादि, 'गोया' हे गौतम ! 'सले से होना णो अलेस्से होज्जा' सलेश्यो भवेत् नियः लो अलेपो भवेत् । 'जइ सलेस्से होज्जा' यदि सलेश्यो भवेत् 'से णं भंते ! कइसु लेस्सा होज्जा' स खल्ल भदन्त ! कतिषु लेश्यासु भवेदिति प्रश्नः भगवानाह-'गोयना' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! एकाए सुक्क लेस्साए होज्जा' एकस्यां शुक्लेश्यायां भवेत् एकर शुक्लेश्या निग्रन्थस्य भवतीति भावः । 'सिणाए पुच्छा' स्नातकः खलु भदन्त ! किं सलेश्यो भवति-अले श्यो वा भवतीति पृच्छा-प्रश्नः । भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'सलेले वा होज्जा अलेस्से वा होज्जा' सलेश्यो वा भवेत् अलेश्यो वा साधु-कृष्ण, नील, कापोतिक, तैजस, पद्म और शुक्ल इन छह लेश्याओंवाला होता है। "णियंठे गं भंते ! पुच्छा' हे भदन्त ! जो निर्ग्रन्थ साधु है वह लेश्यावाला होता है ? अथवा विनालेश्या का होती है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-हे गौतम! वह लेश्यासहित होता है विना लेश्या का नहीं होता है । 'जह सलेस्से होज्जा से ण भंते ! कहासु लेस्लास होजना' हे भदन्त ! यदि वह लेश्यावाला होता है तो कितनी लेश्याओंवाला होता हैं ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते है-'गोयमा ! एक्काए सुक्कलेस्साए होजा' हे गौतम! वह निग्रन्थसाधु एक शुक्ल लेवायाला ही होता है। 'लिणाए पुच्छा' हे भदन्त ? स्नातक क्या लेश्यावाला होता है ? अक्षा विनालेश्या का होता है? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोधमा ! खलेस्ले वा होज्जा, अलेस्से वा છે, અને શુક્લલેશ્યાવાળા હોય છે તથા તે કષાયકુશીલ સાધુ કૃષ્ણ, નીલ,
पातिर, तेस ५५ भने शु४८ मे छ बेश्या केय छे. 'णियठे भंते ! पुच्छा' लगवन् रे निन्य साधु छ, ते वेश्यावा हाय छ, લેશ્યા વિનાના હેય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી કહે છે કે-હે ગૌતમ! त'वेश्या साथ हाय छे, वेश्या विनाना हात नथी. 'जइ सलेस्से होज्जा से णं भंते ! कइसु लेस्सासु होज्जा' है सगवन् ले ते वेश्यावासाय छे. તો કેટલી લેફ્સાવાળા હોય છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી કહે છે કે
गौतम त निन्य साधु से शुत वेश्यावा हाय छे. 'सिणाए પુજી? હે ભગવન સ્નાતક શુ વેશ્યાવાળી હોય છે ? અથવા વૈશ્યા વિનાના डाय छ १ मा प्रश्न उत्तरमा प्रमुश्री ४९ छे है-'गोयमा ! सलेस्से वो होज्जा, अलेस्से वा होज्जा' हे गीतम! स्नात वेश्या पर डाय छ,