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भगवती भवेद् नो अकर्मभूमौ सवेत् 'जहा वउसे' यथा 'वकुशः, जन्मसगावापेक्षया तु' । कर्मभूमावेव भवति न कथमपि अकर्मभूमौ भवति, संहरणापेक्षया तु . कर्यभूमौ वा भवेत् अकर्मभूमौ वा भवेदिति भावः । 'एवं छेदोचट्ठावणिए - वि' एवम् सामायिकसंयतवदेव छेदोपस्थापनीसंयतोऽपि जन्म सद्भावाः . पेक्षा- कर्मभूमौ अवति नो अकर्मभूमौ भवति, संहरणापेक्षया तु , उभयत्रापि । भवतीति । 'परिहारविसुद्धिए य जहा पुलाए' परिहारविशुद्धिकसंयतस्तु यथा । पुलाकः, जन्मसद्भाव-प्रतीत्य कर्मभूमावेष भघेत नो अकर्मभूमौ भवेदिति भावः । 'सेसा जहा सामाझ्यसंजए' शेपो-यूक्ष्मसंपराय यथाख्यातसंयती यथाअकर्मभूमि से नहीं होता है। तथा-संहरण ली अपेक्षा ले. बह कर्मभूमि में भी होता है और अमिभूमि भी होता है यही बात 'जहा बउले' इस सूत्रपाठ द्वारा पुष्ट की गई है। ‘एवं छेदोवद्यावणिए वि सामायिक संयत के जैसे छेदोपस्थापलीयसंयत भी जन्म और सद्भाव की · अपेक्षा से कर्मभूमि में ही होता है । अकर्मभूमि में नहीं होता परन्तु संहरण की अपेक्षा वह कर्मभूमि में भी होता है और अकर्मभूमि में भी होता है। 'परिहाबिलुद्धिए य जहा पुलाए' परिहारविशुद्धिक संयत जन्म और सद्भाव की अपेक्षा पुलाक के जैसे कर्मभूमि में ही होता है । अकर्मभूति में नहीं होता है। 'क्षेसा जहा सामाइय- . संजए' वृक्षम संपराध और यथाख्यातसंयत सामाजिकलंयत के जैसे जन्म और सदभाव की अपेक्षा लेकर कर्मभूमि में ही होते हैं अकर्मसयत ४मभूमिमा २४ डाय छ, AB मुभिमा हात नथी, मेरी वात 'यथा बउसे' २॥ सूत्र8 ६२॥ पुट ४२ छ. 'एवं छेदोवद्वावणिए वि' सामायि । સંયતના કથન પ્રમાણે છેદેપસ્થાપનીય સંયત, પણ જન્મ અને સદ્ભાવની ' અપેક્ષાથી કર્મભૂમિમાં જ હોય છે, અકર્મભૂમિમાં હોતા નથી.'' પરંતુ સંહરણની અપેક્ષાથી તે કર્મભૂમિમાં પણ હોય છે.. અને અકર્મભૂમિમાં પણ હોય छे. 'परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए' परिवार विशुद्धि सयम भने समावनी અપેક્ષાથી પુલાકને કથન પ્રમાણે કર્મભૂમિમાં જ હોય છે અકર્મભૂમિમાં હતા नथा. 'सेसा जहा सामाइयसंजए' सूक्ष्भस ५२राय भने यथाज्यात सयत सामायि . સંયતના કથન પ્રમાણે જન્મ અને સદ્ભાવની અપેક્ષાથી કર્મભૂમિમાં જ હોય