Book Title: Bhagwati Sutra Part 16
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 654
________________ भगवती भन्स्यति, कश्चिदेकः परम्परोपपन्ननारकः पापं कर्म अतीतकालेऽवध्नाद, वर्तमानकाले बध्नाति, भविष्यकाले न मन्त्स्यतीत्याकारको प्रथमद्वितीयभङ्गादेव भवत इति । 'एवं जहेब पढमो उद्देसओ तहेव परंपरोषचन्नएहि वि उद्देसओ भाणियबो' एवं यथैव येनैव प्रकारेण प्रथमोद्देशको जीवनारकादि विषयक तथैव तेनैव रूपेण परम्परोपपनकनारकैरषि समुपलक्षितो तृतीयोद्देशको वक्तव्यः। केवलं प्रथमोदेशके जीवनारकादीनि पञ्चविंशतिः पदानि कथितानि अत्र तु तृतीये उद्देशके नारकादीनि चतुर्विशतिरेव पदानि वक्तव्यानीत्याशयेनाह-'नेरइयाओ' इत्यादि, 'नेरइयाइओ तहेव ननदंडगसहिओ' नैरयिकादिका न तु जीवादिका तथैव-प्रथमोदेश सबढेच नवदण्डकसहितः, पापकर्मज्ञानावरणीयादि सम्बद्धा ये नव दण्डका पूर्व प्रतिपादिवास्तैः सहितोयुक्तोऽत्र वक्तव्य इति । 'अट्टण्ह वि कम्मपगडीणं जा जस्स कम्मरस बत्तव्यया' अष्टानामपि कर्मप्रकृ. भूतकाल में पापकर्म का बन्ध किया गया होता है, वर्तमान में भी यह उसका पन्ध करता है पर भविष्यत् काल में वह उसका बन्ध नहीं करता है । इस प्रकार से यहां ये दो भंग होते हैं । 'एवं जहेव पढमो उद्देसओ तहेध पर परोक्वन्नए हि वि उद्देलो भाणियच्चो' जिल्ला प्रकार से जीव नारकादि विषयक प्रथम उद्देशक कहा गया है उसी प्रकार से परम्परोपपन्नक नारकों आदि कों से समुपलक्षित यह तृतीय उद्देशक भी कहना चाहिये, केवल प्रथम उद्देशक में जीव नारक आदि पचीस पद कहे गये हैं पर यहा हनीय उद्देशक में नारक आदि चोईस २४ ही पद् कहले योग्य बतलाये गये हैं ! यही बात 'नेरयाओ तहेव नव दंडगसहिओ' इस सूत्रधारा प्रकट की गई है। 'अgण्ड दि कम्मपगडीणं जा जस्स कम्मरस वत्तव्यया' आठ પાક નરયિક એ હોય છે કે-જેના દ્વારા ભૂતકાળમાં પાપકર્મને બંધ કરી છે. વર્તમાનમાં તે તેને બંધ કરે છે, પરંતુ ભવિષ્ય કાળમાં તે તેને બંધ કરતું નથી. આ રીતના અહિયાં આ બે જ ભાગો હોય છે, ____एवं जहेब पढमोउदेसओ तहेव परंपरोववन्नर हि वि उद्देसओ भाणिय. દરો જે પ્રમાણે નારકાદિ સંબ ધી પહેલે ઉદ્દેશે કહે છે, એ જ પ્રમાણે પરસ્પર ૫૫નક નારકેથી સમુપલક્ષિત આ ત્રીજે ઉદ્દે પણ કહે જોઈએ કેરળ પહેલા ઉદ્દેશામાં જીવ, નાટક વિગેરે ૨૫ પચ્ચીસ પદે કહ્યા છે, પરંતુ અહિયાં આ ત્રીજા ઉદ્દેશામાં નારકે વિગેરે ૨૪ ૨ વીસ પદે જ ॐा येय ४ा छे. मे पात 'नेरइयाओं तहे। नवदंडगमहिओ' मा सूत्र५४ १२प्रगट डेस छे. 'अट्टण्ह नि कम्मपगडीणं जा जस्म कम्मरस

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