Book Title: Bhagwati Sutra Part 16
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 643
________________ प्रमैयचन्द्रिका टीका श०२६ उ.२ लू०१ चतुर्विशति जीवस्थाननिरूपणम् ६१९ देव सर्वत्र लेश्यादिपदवदेव सर्वत्र लेश्यादि पदेषु अनन्तरोपपन्नकनारकास्य प्रथमद्वितीयौ एव भङ्गो भवः इति । एतेषु च लेश्यादि पदेषु सामान्यतो नारकादीनां संभवन्त्यपि यानि पदानि, अनन्तरोपपञ्चकनारकादीनामपर्याप्तकलात् न संभवन्ति तानि पदानि तेषां नारकाणां न प्रच्छनीयानीति दर्शयन्नाह-'नवर' इत्यादि, 'नवरं सम्मामिच्छत्तं मण जोगो वइजोको य न पुच्छिज्जई' नवरं तम्य. ग्मिथ्यात्वं मनोयोगो व बोयोगश्च न पृच्छयते तत्र यद्यपि सम्यम्मिथ्यात्यादि उक्तत्रयं नारकाणामस्ति तथाषीह अनन्तरोपपन्नकतया रोपां नारकाणां समयग्मिथ्यात्वादि त्रयं नास्तीति कृत्वा तदेतत् त्रयमत्र न प्रष्टव्यमिति । एवं सर्वत्रापि अग्रे ज्ञातव्यमिति । एवं लाव थणियकुमाराणं' एवमनन्तरोपपन्नकनारकवदेव असुरकुमारादारभ्य स्तनितकुमारपर्यन्तानां पापकर्मणां बन्धविषये प्रथमसव्वत्थ पढमवितिया भंगा' सलेश्ष पद के जैसे ही सर्वन और पदों में भी अनन्तरोपपन्नक नैरयिकों के प्रथम द्वितीय भंग ही होते हैं ऐमा जानना चाहिये। अब इन अनन्तरोपपन्नक नैरविकों में जिन्य पदों की संभावना नहीं है उनको सूत्रकार 'नवरं सम्मानिच्छत्तं रणजोगो वहजोगो य न पुच्छिज्जई' इस सूत्रद्वारा प्रकट करते हैं। इसमें यह कहा गया है कि अनन्तरोपपन्नक नैरपिक अपर्याप्तावस्थामाले होते हैंइसलिये सम्पमिथ्यात्व मनोयोग और वचनयोग इन्हें लेकर इन में भंगो के होने की बात नहीं पूछना चाहिये क्यों की ये पद इनके नहीं होते हैं। 'एवं जाव थणि यकुमाराणं' इसी प्रकार का वक्तव्य यावत् स्तनितकुमारोंतक जानना चाहिये, अर्थात् अनुरकुमार से लेकर स्तनितकुमारों में प्रथम और द्वितीय ये दो भंग ही अन्तरोपपन्नक ____ 'एव खलु सव्वस्थपढमबितिया भंगा' ससेश्य बना ४थन प्रभारी ४ બાકીના બીજા બધા પદેમાં પણ અનન્ત૫૫નક નિરયિકેને પહેલે અને બી એ એજ ગે હોય છે. તેમ સમજવું. હવે આ અનન્તપન્નક નૈરયિકમાં જે પદ સંભવતા નથી. તે सूत्र२ 'नवरं सम्मामिच्छत्तं सणजोंगो वइजोगो य न पुच्छिज्जई' मा सूत्र દ્વારા પ્રગટ કરે છે, આ સૂત્ર દ્વારા એ કહે છે કે-અનન્ત૫૫ન્નક નૈરયિક અપર્યાપ્ત અવસ્થાવાળા હોય છે. તેથી સભ્ય મિથ્યાત્વ, મગ અને વચન ગને લઈને તેમાં ભાગ હોવા સંબંધમાં પ્રશ્ન કરવો ન જોઈએ કેમકેते पहा तसा डाता नथी. 'एव जाव थगियकुमाराण' मा प्रभारी नु उथन થાવત્ સ્વનિતકુમારો સુધી સમજવું. અર્થાત્ અસુરકુમારેથી લઈને સ્વનિત

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