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प्रमैयचन्द्रिका टीका श०२६ उ.१ सू०१ बन्धस्वरूपनिरूपणम् बध्नाति न भन्स्यति २, अवधनात् न वध्नाति भन्स्यति ३, अबध्नाम् वध्नाति न भन्स्यति इत्येवं क्रमेण चतुर्भङ्गका प्रश्ना, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'अस्थगइए बंधी बंधइ बंधिस्सई' अस्त्येककः कश्चित् कृष्णलेश्यो जीवः पूर्वकाले पापकर्म बद्धवान्, वर्तमानकाले वध्नाति पाप कर्म, तथा अनागतकालेऽपि भन्स्यति पापकर्मणो बन्धं करिष्यतीत्येवं क्रमेण प्रथमो भङ्गः १, 'अत्थेगइए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ' अस्त्येककः कश्चित् कृष्णलेश्यो जीवः पापं कर्मातीतकालेऽबध्नात् तथा वर्तमानकाले बध्नाति पापं कर्म न भन्स्पति, अनागतकाले पापकर्मणो वन्धनं न करिष्यति, इत्येवं क्रमेण द्वितीयो भङ्गः २ । कृष्णलेश्यादि पञ्चकयुक्तरय जीवस्य तु आयमेव भङ्गद्वयम् तस्य वर्तमानकालिको अथवा वह भूतकाल में पापकर्म का बन्धक हुआ है ? और वर्तमान में भी वह पापकर्म का बन्धक हो रहा है, तथा भविष्यत् काल में पाप कर्म का बन्धक नहीं होगा ? २ भूनकाल में वह पापकर्म का बन्धक हुआ है ? वर्तमान में वह पापकर्म का बन्धक नहीं है ? भविष्यत् में वह पापकर्म का पन्धक होगा? इत्यादि इस प्रश्न के उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-हे गौतम ! 'अत्थेगइए बंधी, बंधह, बंधिस्लाइ' कृष्ण लेश्यावाले जीवों में कोई एक जीव ऐसा भी होता है जो पूर्वकाल में पापकर्म का धन्धक हुआ है, वर्तमान में भी वह पापकर्म का बन्धक पन रहा है और भविष्यत् काल में भी पाप कर्म का बन्धक रहेगा १, तथा-इनमें कोई एक जीव ऐसा भी होता है जो भूतकाल में पापक्रम का बन्धक हुआ है वर्तमान में भी वह पापकर्म को बन्धक बना हुआ है, पर भविष्यत् काल में वह पापकर्म का बन्धक नहीं होगा २, इस प्रकार कृष्णदि पांच लेश्यायाले जीवों को आदि के ये दो भंगही होते हैं-कारण કરવાવાળે થયે છે? અને વર્તમાન કાળમાં પણ તે પાપ કર્મને બાંધવાવાળા થાય છે? તથા ભવિષ્ય કાળમાં પાપ કર્મોને બંધ કરનારે નહિ થાય? આ પ્રમાણેના આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી કહે છે કે–હે ગૌતમ! “થે. गइए बंधी, बंधइ, बंधिस्सइ' ४५श्यावाणा वामां मे ७५ शव। પણ હોય છે, કે જેણે ભૂતકાળમાં પાપ કમને બધ કરેલ હોય છે, અને વર્તમાનમાં પણ પાપ કર્મને બંધ કરતા રહે છે. તથા ભવિષ્ય કાળમાં પણ પાપ કર્મને બંધ કરશે તથા આમાં કેઈ એક જીવ એ પણ હોય છે. જે ભૂતકાળમાં પાપ કર્મને બંધક થયે છે. વર્તમાન કાળમાં પણ પાપ કર્મને બંધક બને છે, પરંતુ ભવિષ્ય કાળમાં તે પાપ કર્મને બંધક થવાને નથી. ૨ આ રીતે કૃષ્ણ વિગેરે પાંચે લેફ્સાવાળા જીવને પહેલાના