Book Title: Bhagwati Sutra Part 16
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 631
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२६ उ.१ सू०४ नैरयिकाणां आयुकर्मबन्धनिरूपणम् ६०० तृतीय एव भङ्गो ज्ञातव्यः युक्तिश्च पूर्ववदेव उदाहर्तव्या अन्यत्र पदेषु च चत्वारो भङ्गा एवोदाहरणीया। 'तेउक्काइय वाउकाइयाणं सब्वस्थ वि पढयतइया भंगा' 'तेजस्कायिकवायुकायिकजीवानां सर्वत्रापि एकादशस्वपि पदेषु प्रथमतृतीयमङ्गो, 'अवध्नात् वध्नाति भन्स्यति, अबध्नात् न बध्नाति भन्स्यतोत्याकारकों परिपठभीयौ, तत उत्तानामनन्तरं मनुष्यगतिषु तेषामनुस्एत्या सिद्धिगमनाभावेन द्वितीयचतुर्थभङ्गयोरभावात् मनुष्येषु अनुत्पत्तिश्चैतेषाम् 'सत्तममहि नेरइया, तेज. वाऊमणतरुट्टा । न य पावे मणुस्सं, तहेवासंखेज्जाउया सव्वे' सप्तममहीनारका स्तेजोबायोऽनन्तरोवृत्ताः । मानुष्यं न च प्राप्नुवन्ति तथैवासंख्यातायुप: एक तृतीय काही पूर्वोक्त कथन के अनुसार करना चाहिये, इनको सिवाय बाकी के पदों में चार-चार अंग कहना चाहिये। तेउछाइयवाचकाच्या णं सच्चस्व वि पढमतझ्या भंगा तेजरकायिक एवं वायुसायिक जीवों के सर्वत्र पदों प्रथम और तृतीय भंग कहना चाहिये क्योकी तेजस्कायिक एवं बायुसायिक जीव जड अपनी-२ पर्याय से पायान्तरित होते हैं तो मनुष्यगति में इनका जन्म नहीं होता है, और मनुष्यगति के सिवाय किली और गति से सिद्ध गति में गम होता नहीं है इसलिये यहां द्वितीय और चतुर्थ लंग नहीं होते हैं । सोही कहा है-'सत्तमही नेरहथा तेऊवाऊ अणंतरूध्वट्टा । नय पाने मणुसं, तहेव असंखाउया सव्वे' सप्तर नरक से निकला हुआ जीच तेजस्कायिक जीव और वायुकाधिक जीव ये सब अनन्तर भन में मनुष्य धाति को प्राप्त नहीं करते हैं, तथा असंख्यात वर्ष की आयुवाले लोगभूमि के जीव भी मनुष्यगतिको नहीं पाते हैं। એક ત્રીજો ભાગજ મૂક્ત કથન પ્રમાણે સમજવો. આના સિવાય બાકીના સઘળા પદમાં ચાર-ચાર ભગો કહેવા જોઈએ. ___'उकाइयवाउक्काइयाण सव्वत्थ वि पढमतइया भंगा' ते४२४ायि? मने વાસુકાયિક જીવ જ્યારે પોતપોતાના પર્યાયથી પર્યાયાન્તરવાળા થાય છે, તો તે અવસ્થામા-મનુષ્ય ગતિમાં તેમને જન્મ થતા નથી, અને મનુષ્ય ગતિ શિવાય બીજી કોઈ ગતિથી સિદ્ધિ ગતિમાં ગમન થઈ શકતું નથી તેથી मडिया मा. म. योथो यता नथी. मे ४यु छ -'सत्तमहि नेरइया तेउ वाउ अणतरुव्वदा नय० पावे मणुरस तहेवासंखेज्जाउया सम्वे' સાતમા નરકથી નીકળતે તેજસાયિક જીવ અને વાયુકાયિક જીવ એ બધા પછીના ભવમાં મનુષ્યગતિને પ્રાપ્ત કરતા નથી તથા અસ ખ્યાત વર્ષની આયુષ્યવાળા ભેગભૂમીના જી પણ મનુષ્યગતિ પામતા નથી.

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