Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
सूर्यज्ञप्तिप्रकाशिका टाका सू० १६ प्रथमपाभृते पञ्चमं प्राभृतप्राभृतम्
१२३ सूर्यश्चारं चरति आख्यात इति वदेत--आस्तां तावत् बहुप्रष्टव्यमस्ति, तत्र-जम्बूद्वीपे कियन्तं-कियत्प्रमाणं द्वीपं कियत्संख्याकं वा द्वीपं, तथैव कियत्प्रमाणं-कियत्संख्याकं वा समुद्रमन्तरं कृत्वा सूर्यश्चारं चरति चरन्नाख्यात इति वदेत् । एवं प्रश्ने कृते सति गौतम एतद्विषये निर्वचनमभिधातुकामः सर्वज्ञो भगवान् प्रथमं परतीथिकप्रतिपत्तिमिथ्याभावो. पदर्शनार्थ प्रथमतस्ता एव परतीथिकप्रतिपत्तीः सामान्यतः उपन्यस्यति-'तत्थ खलु इमाओ पंच पडिवत्तिओ पण्णत्ताओ' तत्र खलु इमाः पश्चप्रतिपत्तयः प्रज्ञप्ताः । तत्र-जम्बूद्वीपे चारं
___ पांचवां प्राभृत प्राभृत का प्रारंभ टोकार्थ-अब आगे कहे जाने वाले इस पांचवें प्राभृतप्राभृत के अर्थाधिकार में (कियन्तं दीपं समुद्रं वा सूर्योऽवगाहते) इस विषय के बारे में गौतमस्वामी प्रभु से प्रश्न करते हैं-(ता केवइयं दीवं समुई वा ओगाहित्ता सरिए चारं चरइ आहिता ति वएज्जा वहां पर कितने द्वीपों एवं समुद्रों को अन्तर कर के सूर्य गति करता है ? वह कहिए? अर्थात् उस जंबूद्वीप में कितने प्रमाण वाले एवं कितनी संख्यावाले द्वीपों को तथा कितने प्रमाणवाले एवं कितनी संख्या वाले समुद्रों का अन्तर कर के सूर्य गति करते कहा है ? सो मुझे समझाइये। गौतमस्वामी के इस प्रकार से प्रश्न करने पर परपक्षवाले का इस विषय में निर्वचन करने की इच्छवाले सर्वज्ञ भगवान् प्रथम परतीर्थिक प्रतिपत्ति के मिथ्याभावों को दिखलाने के लिये उन्हीं परतीर्थिक प्रतिपत्ति सामान्य रूप से कहते हैं-(तत्थ खलु इमाओ पंच पडिवत्तिओ पण्णत्ताओ) उनमें ये पांच प्रतिपत्तियां कही है याने जंबूद्वीप में चार करते हुवे सूर्य के द्वीपसमुद्र के अव
પાંચમું પ્રાભૃતપ્રાભૃત પ્રારંભટીકાર્ય -હવે આગળ કહેવામાં આવનાર આ પાંચમા પ્રાભૃતપ્રાભૃતના અધિકારમાં (कियन्तं द्वोपं समुद्रं वा सूर्योऽवगाहते) मा विषयना सधमा श्री गौतमस्वामी प्रभुश्रीन प्रश्न ४२i डे छ, (ता केवइयं दीवं समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चार चरइ आहिताति वएज्जा) त्यां सादी मने समुद्रीनु मत२ शने सूर्य गति ४२ छ ? ते मा५ કૃપાળુ મને કહે. અર્થાત્ એ જંબુદ્વીપમાં કેટલા પ્રમાણને અને કેટલી સંખ્યાવાળા સમુદ્રનું અંતર કરીને સૂર્ય ગતિ કરે છે? તે આપ કૃપાળુ મને કહો અર્થાત એ જંબુદ્વીપમાં કેટલા પ્રમાણન અને કેટલી સંખ્યાવાળા સમુદ્રનું અંતર કરીને સૂર્ય ગતિ કરે છે ? તે મને કૃપા કરીને સમજાવે. શ્રી ગૌતમસ્વામીએ આ રીતે પ્રભુશ્રીને પૂછવાથી પ્રતિપક્ષિયને આ સંબંધમાં અનુત્તર કરવાની ઈચ્છાવાળા સર્વર ભગવાન્ પહેલાં પરતીથિ કોની પ્રતિપત્તિના મિથ્યાભાને બતાવવા માટે એ પરતીર્થિ. ओनी प्रतिपत्तियोनु सामान्य शते ४थन ४२ छ. (तत्थ खलु इमाओ पंच पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ) तेभा ! पांच प्रतिपत्तियो उपाभा मावेस छे, अर्थात् दीपम गति
શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર : ૧