Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका पद २२ सू. ४ कर्मबन्धहेतुक्रियाविशेषनिरूपणम् पञ्चमी क्रिया नास्ति, नैरयिकाः खलु भदन्त! जीवात् कति क्रियाः ? गौतमः स्यात् त्रिक्रियाः स्यात् चतुष्क्रियाः,स्यात् पश्चक्रियाः, एवं यावद् वैमानिकात्, नवरं नैरयिकात् देवाच्च पञ्चमी क्रिया नास्ति, नैरयिकाः खलु भदन्त! जीवेभ्यः कति क्रियाः? गौतम ! त्रिक्रिया अपि, चतुष्क्रिया अपि, पश्चक्रिया अषि, नैरयिकाः खलु भदन्त ! नैरयिकेभ्यः कति क्रिया:? गौतम! त्रिक्रियाः, चतुष्क्रियाः, एवं यावद वैमानिकेभ्यः, नवरम् औदारिकशरीरेभ्यो यथा जीवेभ्यः, असुरकुमारःखलु भदन्त! जीवात् कति क्रियः? गौतम! विशेष (नेरइयस्स नेइएहिं तो देवेहिं तो य पंचमा किरिया नत्थि) नारकको नारकों के और देवों के निमित्त से पांचवी क्रिया नहीं होती है । (नेरइयाणं भते । जीवाओ कइ किरिया) हे भगवन् ! नारक जीव के निमित्तसे कितनी क्रियावाले होते हैं ? (गोयमा! सिय तिकिरिया) हे गौतम ! कदाचित् तीन क्रियावाले (सिय चउकिरिया) कदाचित् चारक्रिया वाले (सिय पंचकिरिया) कदाचित् पांच क्रियावाले (एवं जाव वेमाणियाओ) इसी प्रकार यावत् वैमानिकों से (नवरं नेरइयाओ देवाओ य पंचमा किरिया नत्थि) विशेष नारक और देव के निमित्त से पांचवी क्रिया नहीं होती।
(नेरइयाणं भंते !जीवेहि तो कति किरिया) हे भगवन् ! नारकजीवों के निमित्त से कितनी क्रिया वाले होते हैं ? (गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि. पंचकिरियावि) हे गौतम ! तोन क्रियावाले भी, चारक्रिया वाले भी, पांच क्रिया वाले भी। __(नेरइया णं भंते ! नेरइएहिंतो कइ किरिया ?) हे भगवन् ! नारक नारकों से निमित्त से कितनी क्रियावाले होते हैं ? (गोयमा ! तिकिरिया, चउकिरिया) हे गौतम ! तीन क्रिया वाले और चार क्रिया वाले (एवं जाव वेमाणिएहितो) वैमानिनानिमित्तथी ( नवर) विशेष ( नेरइयस्स नेरइए हितो देवेहितो य पंचमा किरिया नत्थि ) નારકોને નારકેના અને દેશના નિમિત્તથી પાંચમી ક્રિયા નથી થતી
(नेरइया ण भंते जीवेओ कइ किरिया ?) भगवन्! ना२४04नानिमित्तथा टमी ठियावा डाय छ ? (गोयमा ! सिय तिकिरिया) हे गौतम हाथित त्र यावा (सिय चउकिरिया) हास्थित या२ डियावा. (सिय पंच किरिया) डेथित पांय शियावाणी ( एवं जाव वेमाणियाओ ) म अरे यारत् वैमानिडाना निमित्तथी (नवर नेरइयाओ देवाओ य पंचमा किरिया नत्थि) विशेष नाना मन हेवोना निमित्तथा पायभी लिया नथी यती
(नेरइयाण भंते ! जीवेहिते। कति किरिया ) हे भगवन् ! ना२४ ७पना निमित्तथी उसी लियावाणा होय छ ? (गोयमा ! तिकिरिया वि, चउ किरिया वि पंच किरिया वि) ९ गौतम! त्रए કિયાવાળા, ચાર કિયાવાળાપણું અને પાંચ ક્રિયાવાળા પણ
(नेरइया ण भते! नेरइएहितो कइ किरिया?) भगवन् ना२३॥ नारोना निमित्तथी श्री जियावा डाय छ ? (गोयमा ! ति किरिया, चउ किरिया) गौतम! जय लियापा, अने यार यिायाणा (एवं जाय वेमाणिएहितो) मे ४२ यावत् वैमानिमेथी (नवर ओरालियस
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫