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भारतीय प्रार्य-भाषा में बहुभाषिता काज-घर बटन का छेद । casa (उच्चारण काम)=मकान+बंगला में घर मकान । अत घर (वटन के लिए)।
सील-मोहर-किमी व्यक्ति की धातु की मोहर जिम पर उसका नाम या चिह्न अकित रहता है, अंग्रेजी के सोल+फाग्मी के मुहर के योग मे बना है, और वगला में सिर्फ मोहर के अयं में प्रयुक्त होने लगा है।
__फारमी तथा भारतीय गब्दो के योग मै मिले हुए गन्द काफी मख्या में मिलते हैं। यहाँ बंगला से कुछ उदाहरण देना पर्याप्त होगा। (हिन्दुस्तानी तथा भारत की अन्य भाषाओं में ऐसे या इनसे मिलते-जुलते और कभीकभी बिलकुल एक जैसे ही रूप अवश्य मिलेंगे)।
प्राशा-सोटा-गदा फ़ारसी-अरवी का शब्द असा+हिन्दुस्तानी सोटा सोटा डडा या गदा । खेल-तमाशा खेल-कूद आदि हिन्दुस्तानी खेल+फारसी तमाशा। शाक-सब्जी-हरी तरकारी मस्कृत शब्द शाफ-हरी तरकारी,जडी-बूटी+फारमी सन्जा-हरी भाजी।
लाज-शरम या लज्जा-सरम हिन्दुन्नानी लाज (आर्य-भाषा का प्राकृतज गन्द) और लज्जा (संस्कृत)+ फाग्मी शर्म। दोनो गब्दो का एक ही अर्थ है।
धन-दौलत सम्पत्ति हिन्दुन्नानी+फारमी (फारमी-अरबी)। जन्तु-जानवर भारतीय जंतु+फारमी जानवर । राजा-बादशाह राजा, गामक हिन्दुम्नानी राजा+फारमी वादशाह । लोक-लश्कर नौकर-चाकर हिन्दुस्तानी लोक (लोगो का समूह)+फारमी लश्कर (फौज, दल)। हाट-बाजार-बाजार, मेला हिन्दुस्तानी हाट+फारमी बाजार। दोनो का एक ही अर्थ है।
झाडा-निशान-झडा, ध्वजा हिन्दुस्तानी झडा+फारमी निशान (वगना का झाडा-निशान, हिन्दी भडी-निशान)।
हाडी-मुर्दफराश झाडू लगानेवाले, मसान या गोरम्यान में शवो के सत्कार करने वाले हिन्दुस्तानी हाडी (महनरो का अद्भूत वर्ग)+फारसी मुर्दा-फरोश मुर्दा ढोनेवाले।
लेप-काया ढकने का वम्य, रजाई आदि लेप फारमी लिहाफ+बंगला काया-मस्कृत कथा (पुराने कपड़ी की मिली हुई कयरी)।
प्रादाय-उसूल कर्ज या माडे का उगाहना मम्कृत प्रादाय-फारसी-अरवी का वसूल। काग्रज-पत्र काग़जात फारमी काग्रज+सस्कृत पत्र । गोमस्ता-कर्मचारी प्रतिभू या कर्मचारी फारमी गुमाश्ता+सस्कृत कर्मचारी। निरीह बेचारा-सीधा-सादा, गरीव व्यक्ति मस्कृत निरीह+फारसी वेचारा ।
ऊपर के उदाहृत अनुवाद-मूलक समस्त-पदो के अतिरिक्त जिनमें विदेशी प्रभाव स्पष्ट है, कुछ और पद है जिनके दोनो भागो में देशीपन मिलता है। उदाहरणार्थ
पाहाड (पहाड) पर्वत=देशी पाहाड (उत्पत्ति का मूल अज्ञात)+ सस्कृत पर्वत । घर-बाडी-घर (मकान)+वाड़ी (Zगृह+वाटिका /वृत-)। गाछ-पाला-पोदे गाय/गच्य+पाला / पल्लव। हांडी-कुंडी मिट्टी के वर्तन, हांडी / भाण्ड+फुण्ड ।
ऐसे उदाहरण अन्य आधुनिक आर्य-मापानओ से बहुश दिये जा सकते है। इनमे से कुछ द्वन्द्व समास सरीखे है, जिनमें मयोग या सम्मेलन का भाव होता है। उदाहरणार्थ___कापड-चोपढ कपडे और डलियां कापड / फर्पट कपड़े, चीथडे+चोपड; मिलाओ चुपडी, चोपड़ी =डलिया।