________________
बुन्देलखण्ड के कवि
श्री गौरीशङ्कर द्विवेदी 'शङ्कर
(१) शस्य श्यामला, शीतल जननी, कविवर-वीर-विभूति प्रसविनी, है बुन्देलखण्ड की धरिणी,
घरणीतल में घन्य कहां है, कोई ऐसी अन्य ?
(२) अग्रगण्य है अति शुचिता में, सरस सरलता में, मृदुता में, सहिष्णुता में, सहृदयता में,
वीर-वुदेल-प्रदेश यही है, अनुमप जिसका वेश।
कर्ता अष्टादश पुरान के, लेखक भारत के विधान के, अधिपति विपुल पवित्र ज्ञान के,
वल, तप, तेज निधान यहीं थे, वेद व्यास भगवान् ।
वालमीकि वसुधा के भूषण, कृष्णदत्त कविकुल के पूपण, मित्र मिश्र ने किया निरूपण,
ऐसा ग्रंय-विशेष पुज रहा है जो देश-विदेश ।