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जैन-गणित की महत्ता
७२१ कव+ख ब= ग। इस गणित मे क, ख, ग ये ज्ञात राशियां और व अज्ञातराशि है। क्रिया मे श्रीधराचार्य न और भजन का नियम निकाल कर इस प्रकार रूपान्तर किया
दोनो राशियो मे सम जोड देने से भी समत्त्व रहेगा।
नं समगु
म
= व+ = खग क यहाँ दोनो पक्षो मे ख घटा दिया तो व=_ + Vख +-गक = ख+ Vख+गक,
क
इस प्रकार जैनाचार्यों ने अज्ञातराशियो का मान निकाला है। गणितसारसग्रह में अनेक बीज गणित सम्वन्धी सिद्धान्तो का प्रतिपादन किया गया है। यहाँ उदाहरणार्थ मूलधन, व्याज, मिश्रधन और समय निकालने के सम्बन्ध में कुछ महत्त्वपूर्ण नियम (formulas) दिये जाते है। मूलधन =स, मिश्रधन =म, समय = ट, व्याज=ई १-(1) स =
मसXमा ट+स
(प्रा
म-स
(4) स = Ext + १ (ul) प्रा= अनेक प्रकार के मूलधन
.
टर्स
२-या
-
सXट
मा
+ट
XIX
स
-Fxxx मा+ - म मस+
X4
xxx आ+-म
म-स-+ट
(1) स
२
स. Xट,x म ८ x ८+ स.x ८+ स. x ८+
-
पा,
(11)
X 2 XỸ
---श्रा
स, ४८+ २ स Xट+स,xc+
म = प्रा. + प्रा. + आ + व्याज के लिए नियम (formula) -
३--(1)
था, + अ + अ +