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धर्मसेविका प्राचीन जैन देवियाँ
६६१ इसी वर्ग में होने वाले पृथ्वीराज द्वितीय और सोमेश्वर ने अपनी महारानियो की प्रेरणा से विजौलिया के जैनमन्दिर को दान दिया था तथा मन्दिर के स्थायी प्रवन्ध के लिए राज्य की ओर से वार्षिक भी दिया जाता था।
परिवार (?) वश में भी उल्लेखयोग्य धारावश की पत्नी शृगारदेवी हुई है। इस देवी ने झालोनी के शान्तिनाथ मन्दिर के लिए पर्याप्त दान दिया था तथा धर्म के प्रसार के लिए और भी अनेक कार्य किये थे।
इस प्रकार उत्तर और दक्षिण दोनो ही प्रान्तो की महिलाओ ने जैनधर्म की उन्नति के लिये अनेक कार्य किये। उत्तर में केवल बड़े घरानो की महिलाओ ने ही जैनधर्म के प्रचार और प्रसार में योग दिया, पर दक्षिण में सर्वसाधारण महिलामो ने भी जैनधर्म की उन्नति में योगदान किया। पारा]