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भारतीय नारी की वर्तमान समस्याएं और दोनो को एक ही सतह पर स्थिर कर दिया जाय, किंतु इस उन्नति का उद्देश्य जीवन को समृद्ध और बहुमुखी बनाना है और स्त्री-पुरुष में ऐसी भावनाएं उत्पन्न कर देना है कि वे एक-दूसरे के व्यक्तित्व का गौरव समझ कर उसके प्रति सम्मान प्रदर्शित करें। ऐसी भावना के द्वारा समाज निश्चय ही सवल और समृद्ध बन सकेगा।
इस समय महिला-वर्ग की सभी सस्थानो के सामने प्रमुख कार्य यह है कि वे निर्माण योजना को कार्यन्वित कर अपनी स्वतन्त्रताप्राप्त करें। बिना राजनैतिक स्वतन्त्रता के अन्य सारी बातें अर्थहीन है, परन्तु साथ-ही-साथ जब तक सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रो में स्त्री-पुरुष के समानाधिकार नही निश्चित होते तव तक राजनैतिक स्वातन्त्र्य से भी यथेष्ट प्रयोजन की सिद्धि नही हो सकती। दोनो का गहरा अन्योन्याश्रय सवध है। राजनैतिक और सामाजिक क्षेत्री में उन्नति प्राप्त करने के लिये गांधीजी की निर्माण योजना बडी ही व्यावहारिक और लाभप्रद सिद्ध होगी। इसके द्वारा भारतीय महिलाओ को अपना सगठन करने में, सामाजिक कार्यों के लिये अपने को शिक्षित करने में, सूत आदि कातने की घरेलू दस्तकारियो में, जन-साधारण के विचार-सवर्धन में तथा नारी-वर्ग को आत्म-निर्भर बना सकने के प्रयत्लो में बड़ी सहायता मिलेगी।
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