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प्रेमी-अभिनदन-प्रथ
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मधुकुरशाह भक्ति -रस रे, इन्द्रजीत, विक्रम बल पूरे, छत्रसाल नरपति रण शूरे,
__वर-बुंदेल-अवतस हुए है कवि-कुल-मानस-हस ।
तुलसीदास ज्ञान-गुण-सागर, व्यास, गोप, बलभद्र, जवाहर, केशवदास कवीन्द्र कलाधर,
भाषा प्रथमाचार्य हुए थे, इसी भूमि में आर्य ।
सुकवि बिहारीदास गुणाकर, हरिसेवक, रसनिधि, कवि गकुर, पचम, पुरुषोत्तम, पद्माकर,
कवि कल्याण अनन्य हुई है, जिनसे बसुधा धन्य ।
विष्णु, सुदर्शन, श्रीपति, मण्डन, खगराय, गङ्गाधर, खण्डन, किङ्कर, कुजकुंअर, कवि कुदन,
मोहन मिश्र, ब्रजेश यहीं थे, रसिक, प्रताप, हृदेश।
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हसराज, हरिकेश, हरीजन, फेरन, करन, कृष्ण कवि, सज्जन, मान, खुमान, भान बदीजन,
लोने, खेम, उदेश हुए है, भौन, बोध, रतनेश ।