________________
हिंदुस्तान में छापेखाने का प्रारंभ
१७५ ठीक होती है कि यूरोपियन कारीगरों की बनावट से ममता करती है। इन्होंने हमारे लिए बंगाली के तीन-चार फाउट बनाये है। अब हमने उनको वर्तमान टाइप की साइज, जितनी कम करने के काम में लगाया है। उनके तैयार होने से वह जितना होगा। उससे कागज की बचत होगी और पुस्तक भी छोटी हो जायगी। मगर इस बात का पूरा खयाल रखा जायगा कि अक्षर ऐमे वर्ने जो छपने पर साफ-साफ पढे जा सकें।
____ हमने देवनागरी अक्षरो का भी एक फाउट बनाया है । इसके अक्षर हिन्दुस्तान में सबसे मुन्दर है । इसमें करीब १००० भिन्न-भिन्न अक्षरों का समूह है। इसको बनाने में केवल १५०० रुपया खर्च हुए है । इस खर्चे में टाइप ढालने की और दूसरी चीजों की कीमत शामिल नहीं है।
पागारसे परमी पायी।
पदा पर्य।- -
उसमें रकमया घाउसदा मामायार पा पादमी पूरा धम्नी पा यार्थाारसे पधारापा बुरे कामतेम पर गहरा अवसावटेवा पोष रेटी जन्मी। उसको सपव साधावारपाची पार थापामा छ वा पांचवा भी
या उडत परिवार उपसंती दिली धूर्य पपर L- सब खेगिसे दोन
समेटे अपाये। घरमे परे थायमीभगाने भारोपे . दिन fear पार पाने भलेमपाले नियमित
पाने याने पोशा वाचा वापर मिपावरकारने यादमी भक्के लोक | विषापासोर उठ
मिनति मेवात । आम विभा शमायापले कामाने मेरे
टाने पाय विषावागामार वा 1 दिया। प्रारयिषय परता- ।
विसी दिन वोट fulgeकास पर
बाजे पाय वा वायभी उन्कगेच पाया। सद
यसपने नाम कि कसे पाया प्रीतम 1. प्रवाप दे यह कहा कि शाम पिसे वार
धर्म-पुस्तक (सुधरा हुमा टाइप) डॉ० केरी ने सस्कृत व्याकरण प्रकाशित कराया। उसका देवनागरी टाइप मोटा और ऊवड-खाबड है। सम्भवत यह उसका पहला प्रयत्न था। सुधारे हुए टाइपो का उपयोग उसने बाइबिल के हिन्दी अनुवाद में किया है, ऐसा इसकी छपाई से मालूम होता है।
यद्यपि विल्किस ने देशी भाषाओ के टाइप बनाने का कार्य प्रारम्भ किया था, परन्तु टाइपो के सुधार और प्रचार का परिणाम तो डॉ० केरी का उद्योग ही है। नीचे उसके द्वारा प्रकाशित वाइबिलो के अनुवादो की सूची प्रकाशनसन् के साथ दी जाती है । उससे उसके महान् उद्योग की पाठक कल्पना कर सकेंगे
The Life of William Carey by George Smith, 1887, p 213