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प्रेमी-अभिनदन-ग्रथ
गमावण गरी गिलापट्टी मे अहल्या-उद्धार, वन-गमन, अगस्त्याश्रम मे राम, लक्ष्मण और मीता का जाना, शूर्पणखा केनाक-कान काटना, वालि-मुग्रीव-युद्ध, लक्ष्मण के द्वारा सुग्रीव का अभिषेक, लक्ष्मण तथा सुग्रीव श्रादि का पुन सम्मिलन, नटमण को जोक्ति करने के लिए हनुमान का प्रोपधि लेकर द्रुतगामी होना आदि है। महाभारत के कुछ दृश्यो मे से कृष्ण-जन्म, नद-यशोदा के द्वारा वलदेव और कृष्ण को खिलाना, तथा शकट-लीला आदि है । एक विगडे हुए शिलापट्ट पर, जो अवमी अपने पुराने स्थान पर स्थित है, वामनावतार का दश्य है। मदिर के अधिष्ठान पर विष्ण के अन्य कौन-कौन अवतार बने हुए थे, यह अब नहीं कहा जा सकता।
यह विगाल मदिर अव इतना अधिक नष्ट हो चुका है कि इसका काल्पनिक पूर्ण मान-चित्र बनाने के लिए पाफो पग्थिम की आवश्यकता है। केवल ऐसे चित्र के द्वारा ही न केवल इस मदिर का साकाही समझ में आ सकता है, अपितु उसके प्राचीन सौदर्य का भी अनुमान हो सकता है । इस दिशा में कार्य करने की मेरी अपनी धारणा है । अत म मै विद्वानो नया अपने सहयोगियो से हार्दिक प्रार्थना करूँगा कि वे गुप्त-कला की अवशिष्ट कृतियो का, जो इस देश की अमूल्य रत्न-राशि है, अधिक मनोयोग के साथ अध्ययन, सरक्षण और प्रकारान करें। प्रागरा]