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बुन्देलखण्ड
स्वर्गीय मुन्शी अजमेरीजी चदेलों का राज्य रहा चिरकाल जहां पर, हुए वीर नृप गण्ड, मदन परमाल जहाँ पर, वढा विपुल बल विभव बने गढ दुर्गम दुर्जय, मंदिर महल मनोज्ञ सरोवर अनुपम अक्षय,
वही शौर्य सम्पत्तिमयी कमनीय भूमि है।
यह भारत का हृदय रुचिर रमणीय भूमि है ॥ पाल्हा ऊदल सदृश वीर जिसने उपजाये, जिनके साके देश विदेशो ने भी गाये, वही जुझौती जिते बुंदेलो ने अपनाया, इससे नाम बुंदेलखण्ड फिर जिसने पाया,
पुरावृत्त मे पूर्ण परम प्रख्यात भूमि है।
यह इतिहात-प्रसिद्ध शौर्य संघात भूमि है । यमुना उत्तर और नर्मदा दक्षिण अञ्चल, पूर्व ओर है टोंस पश्चिमाञ्चल में चम्बल, उर पर केन घसान बेतवा सिंघ वही है, विकट विन्ध्य की शैल-श्रेणियां फैल रही हैं, . विविध सुदृश्यावली अटल प्रानन्द-भूमि है । __ प्रकृतिच्छटा वुदेलखण्ड स्वच्छन्द भूमि है ॥ अडे उच्च गिरि और सघन वन लहराते है, खडे खेत निज छटा छबीली छहराते है, जरख, तेंदुए, रीछ, बाघ स्वच्छन्द विचरते, शूकर, सांवर, रोझ, हिरन, चीतल है चरते,
आखेटक के लिए सदा जो भेट भूमि है।
अति उदण्ड बुन्देलखण्ड आखेट-भूमि है ॥ गढ गवालियर सुदृढ़ कोट नामी कालिंजर, दुर्गम दुर्ग फुडार कठिन कनहागढ़ नरवर, छोटे मोटे और सैकडो दुर्ग खडे है, मानो उस प्राचीन कीर्ति के स्तम्भ गढ़े है,
दुर्ग-मालिकामयी दीर्घ दृढ़ अङ्ग-भूमि है। परि-दर्पघ्न घुदेलखण्ड रण रङ्ग भूमि है।