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प्रेमी-अभिनदन-प्रथ उत्पन्न करने में पत्र वडे लाभदायक सिद्ध होगे। अत कुछ ऊंचे दर्जे के पत्र निकालने की दिशा में हमे शीघ्र ही प्रयत्न करना चाहिए।
जानकारी के अभाव में, सम्भव है, कुछ पत्रो के नाम छुट गये हो। लेखक क्षमा-प्रार्थी है। नोट-डा० रामकुमार जी वर्मा द्वारा हमें निम्नलिखित पत्र-पत्रिकामो के विवरण और प्राप्त हुए है।
-सम्पादक १ हितकारिणी-यह मासिक पत्रिका जवलपुर से हितकारिणी मभा की ओर से प्रकाशित होती थी और इसके सपादक थे स्वर्गीय श्री रघुवरप्रसाद जो द्विवेदी। इस पत्रिका ने शिक्षा के प्रतार और मगठन करने में अभूतपूर्व कार्य किया। वीस वर्षों से अधिक इस पत्रिका ने मध्यप्रात मे साहित्यिक प्रेरणाएं भी प्रदान की और शिक्षको और विद्यार्थियो को चरित्रवल की शिक्षा दी।
२ शिक्षामृत-यह मासिक पत्रिका नरसिंहपुर से 'हिन्दी साहित्य प्रसारक कार्यालय' से श्री नाथूराम रेपा के निरीक्षण और श्री आनन्दिप्रसाद श्रीवास्तव के सम्पादकत्व मे सन् १९२० से प्रकाशित होना प्रारम हुई। यह ५ वर्षों तक प्रात और उसके बाहर शिक्षा और साहित्य की समस्याओ पर प्रकाश डालती रही। इसमें कविताएँ उच्चकोटि की होती थी और भारत के प्राचीन गौरव से मवध रखने वाले चरित्रो पर अच्छी कविताएँ लिखी जाती थी।
३ विध्यभूमि-पन्ना, बुन्देलखण्ड से यह त्रैमासिक पत्र बुन्देलखण्ड के साहित्यिक और ऐतिहामिक वैभव से सवव रखता है। यह जून सन् १९४५ से प्रकाशित हुआ। इसमे माहित्यिक मुरुचि मे सम्पन्न सुन्दर लेखो का मग्रह रहता है । इसके सम्पादक है श्री हरिराम मिश्र, एम० ए०, एल-एल० वी, वी० टी० ।
४ जयहिन्द-श्री गोविन्ददास जी के निर्देशन में जबलपुर से एक दैनिक पत्र के रूप में प्रकाशित हुआ। इसमें प्रमुखत राजनैतिक विपयो की ही चर्चा रहती है। साहित्यिक समारोहो के विवरण देने में भी इस पत्र में विशेष ध्यान रखा जाता है । इस पत्र का प्रकाशन इसी वर्ष (१९४६) से प्रारभ हुआ है।