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प्रेमी-अभिनदन-ग्रंथ
१० विष्णुसेनमुनिकृत समवशरणस्तोत्र । ११ विजयानन्दसूरिकृत सर्वज्ञस्तवन (सटीक) । १२ पार्श्वनाथसमस्यास्तोत्रम् १३ श्रीगुणभद्रकृत चित्रबन्धस्तोत्र १४ महर्षिस्तोत्र १५ श्रीपद्मप्रभदेवकृत श्रीपार्श्वनाथस्तोत्र १६ नेमिनाथस्तोत्र १७ भानुकीतिकृत शखदेवाष्टक १८ योगीन्द्रदेवकृत निजात्माष्टक (प्राकृत) १६ अमितगतिकृत सामायिक पाठ या तत्त्वभावना २० पद्मनन्दिविरचित धम्मरसायण (प्राकृत) २१ कुलभद्रकृत सारसमुच्चय २२ श्रीशुभचन्द्रकृत अगपण्णत्ती (प्राकृत) २३ विवुधश्रीधरकृत श्रुतावतार २४ शलाकानिक्षेपणनिष्कासनविवरण २५ पडित आशाधरकृत कल्याणमाला
५० नाथूराम जी प्रेमी की कुछ ग्रन्थकर्तायो पर भूमिका । सम्पादक प० पन्नालाल सोनी । पृष्ठ सख्या ३२४ । मूल्य डेढ रुपया। स० १६७६ ।
२२. नीतिवाक्यामृतम् (सटीकम्) : गन्थकर्ता आचार्य सोमदेव। इस ग्रन्थ मे विशाल नीतिसागर का मन्थन करके सारभूत अमृत का सग्रह किया गया है। ग्रन्थ का प्रधान विषय राजनीति और सम्पूर्ण ग्रन्थ सूत्रबद्ध है। इसमें ३२ समुद्देश है और इस पर एक विशाल सस्कृत टीका है । सम्पादक प० पन्नालाल सोनी । पृष्ठ सस्या ४२६ । स० १६७६ । मूल्य पौने दो रुपया।।
२३. मूलाचार सटीक (उत्तरार्द्ध). ग्रन्थकर्ताप्राचार्य वट्टकेर । वसुनन्दिश्रमण की सस्कृत टीका सहित। इसमें मुनियो के प्राचार का विवेचन है । ग्रन्थ में पांच अधिकार है । पृष्ठ सख्या ३३१ । स० १९८० । मूल्य डेढ रुपया।
२४ रत्नकरण्डश्रावकाचार (सटीक) : ग्रन्थकर्ता स्वामी ममन्तभद्र और टीकाकार आचार्य प्रभाचन्द्र । इस ग्रन्थ मे गृहस्थ पर्म का विवेचन किया गया है। सम्पादक प० जुगल किशोर जी मुख्तार । प्रारम्भ में मुख्तार साहब की ८४ पृष्ठो की भूमिका और २५२ पृष्ठो मे स्वामी समन्तभद्र का विस्तृत जीवन-परिचय है । ग्रन्थ सात परिच्छेदो में विभक्त है। स० १९८२ । मूल्य दो रुपया।
२५. पचसग्रह : ग्रन्यकर्ता आचार्य अमितगति । इसमे कर्म-सिद्धान्त का विवेचन है । सशोधक साहित्यरत्न प० दरवारीलाल जी। पृष्ठ संख्या २३९ । मूल्य तेरह आना।
२६ लाटीसहिताः ग्रन्थकर्ता राजमल्ल । इसमे सात सर्गों में जैन सिद्धान्तों का उल्लेख है। सशोधक पडित दरवारीलाल जी । पृष्ठ संख्या १३० । स० १९८४ । मूल्य आठ आना।
२७ पुरुदेवचम्पू . ग्रन्थकर्ता महाकवि अर्हद्दास । चम्पू ग्रन्य है। १० स्तवको में भगवान् ऋषभदेव का जीवन-वृत्त है। मशोधक प० जिनदास शास्त्री। पृष्ठ सख्या २०६ । स० १९८५ । मूल्य बारह आना।
२८ जनशिलालेखसग्रह . इस ग्रन्थ में श्रवणवेलगोल के स्मारक, चन्द्रगिरि, विन्ध्यगिरि, श्रवणवेलगोलनगर और उसके आसपास के महत्त्वपूर्ण शिलालेखो का हिन्दी अनुवाद सहित सग्रह है । सम्पादक प्रो० हीरालाल जी एम० ए०, एल-एल० बी० । पृष्ठ सख्या ४२७ । स० १९८४ । मूल्य दो रुपया।