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हिंदुस्तान में छापेखाने का प्रारम वम्बई में टामस ग्रेहम ने सन् १८३६ मे रामजी व जीवनवल्लभ नाम के लुहार कारीगरो से देवनागरी टाइप वनवाया था और फिर घोरे-धीरे गुजराती टाइप भी। मगर इनका कोई नमूना आज सुलभ नही है । हाँ, कुरियर
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-- -- -7 जो पुरुप दुसऱ्याचो अदेखायों करिननाही. कोणाचीही ज्यास दया येते. आपण दुर्बळ असोन समर्थाचा आव घालित नाही-कोणीही वाईट गे लिला तथापि साहतो.असा पुरूप प्रशसस योग्य होतों-जो उद्धटपणा करित नाही. आपला थो रपणा पुढेंकरून दुसयावा तिरस्कार करित ना ही कोणास कठिण बोलत नाही. अशा पुरुषा सर्वलोक हितव करिताहेत
जो मागे पडलेले वैर पुनः उत्पन्न करित ना.
विदुर नीति (नागरी लिपि में मुद्रित प्रथम मराठी पुस्तक-१८२३) प्रेस वम्बई में सन् १८२३ में देवनागरी अक्षरो में छपी हुई 'विदुरनीति' और सन् १८२४ में छपी हई 'सिंहासनवत्तीसी'
नकियात
नकु.1.1 ऐक बादशाह ने अपने वीरमे पूछा कि सब मे विहतर मेरे हक में क्या है। अर्ज को कि अट्ट करना और रयत का पालना ।
ऐक शरवम ने ऐक को कहा कि न तो आगे मुहताज था -ऐमा क्या काम किया जो दोलत मद होगया। जवाब दिया कि जो कोर अपने आकां को खरखाही करेगा - सो थोडे दिनों में माल दार होगा
२--3 ऐक ने किसी से पूछा कि आगेत बहुत गरीब
प्रथम हिन्दी पुस्तक, जो इग्लैंड में नागरी लिपि में छपी उपलब्ध है। ये टाइप विल्किस की फाउडरी के है । सम्भवत कुरियर प्रेस ने ये टाइप इग्लैंड से मंगवाये होगे।