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मात्रा
अ
બ
म
पाद
व्यष्टि 'समष्टि
वैश्वानर
१६ मुख ( ज्ञान के उपकरणों)
वाला
तैजस
( १६ मुख वाला)
प्राज्ञ
वैश्वानर विराट् ( ७ अंगों
वाला
वैज्ञानर)
तंजस ( ७ अंगों
सहित) हिरण्यगर्भ
ईश्वर
अवस्था
जा
प्र
त
स्व
प्न
प्ति
प्रज्ञ!
बा
ह्य
श्रा
न्त
रि
क
रूप
भोग
स्थू
ल
सू
क्ष्म
ग्रा
न
न्द
तृप्ति
स्थू
ल
स
क्ष्म
ग्रा
न
न्द
स्थानत्रय
दक्षिण
(नेत्र)
4 म
न
(मनः )
द
य
(प्रकाश)
( अमात्र - आत्मा - ब्रह्म - तुरीय)
इस अध्याय को पढ़ चुकने के बाद हमें यह पता चल जायेगा कि ऊपर की तालिका में प्रायः उन सभी भावों को दिखाया गया है जो पहले अध्याय में समझाये गये हैं ।
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