________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( हह >
| प्रोत्साहन देने के विचार से श्री गौड़पाद ने केवल इस कोटि के व्यक्तियों को मुनित्व का सर्वोच्च पद दिया है " न कि किसी और " को ।
चाहे मनुष्य अपने युग में कितना ही मान्य तथा प्रखर बुद्धि हो वह केवल निज पाण्डित्य, व्याख्यान, लेख अथवा वेदान्त के सिद्धान्तों से सम्बन्धित किसी आकर्षक तर्क आदि के द्वारा परम पद को प्राप्त नहीं कर सकता ।
'मुनि' वह है जिसने अपने वास्तविक सत्य- सनातन स्वरूप को जान लिया है और जो ॐ की मात्राओं द्वारा सूचित सर्व व्यापकता एवं अनन्त सर्वज्ञता से पूर्ण परिचित है । इतना कहने के बाद श्री गौड़पाद ने माण्डूक्योपनिषद के प्रथम अध्याय से सम्बन्धित कारिका को समाप्त कर दिया है ।
11:01
For Private and Personal Use Only